परिचय:- लेमन ग्रास(नीबू घास) एक सगंधीय पौधा है। जिसका सगंधीय पौधों में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके पत्तों से तेल निकाला जाता है, जिसका उपयोग औषधियों के निर्माण से लेकर उच्च कोटि के इत्र बनाने तथा विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों तक में किया जाता है।
इसमें साईंट्रल सांद्रण पाया जाता है। ‘विटामिन ए’ के संश्लेषण के लिए नींबू तेल की मांग बहुत अधिक है। आज के दिनों में झारखंड के साथ देश के विभिन्न भागों में इसकी खेती की जा रही है तथा तेल एवं डंठल का भी निर्यात बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
मिट्टी एवं जलवायु:- लेमन ग्रास के सफल उत्पादन के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त है। उच्च ताप तथा अच्छी धूप की उपस्थिति से पौधे में तेल की मात्रा बढ़ती है।
सामान्यतः सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है लेकिन दोमट उपजाऊ मिट्टी अधिक अच्छी होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।
प्रसार विधि:- इसके बीज को नर्सरी बनाकर बोया जाता है। पौधें के बारे होने पर इन्हें पौधशाला से उखाड़ कर खेत में रोपाई करते हैं। एक हेक्टेयर के लिए लगभग 4 किलो बीज पर्याप्त है। 2 महीने के बाद नर्सरी में लगाये बीज खेत में लगाने लायक पौधे हो जाते हैं।
स्लिप:- जड़ से 15 सें.मी. छोड़कर पौधे के ऊपरी हिस्से को काट लेते हैं। जड़ों के भाग को अलग कर के 15 से.मी. गहरे छेदों में 45*45 अथवा 45*30 सें.मी. की दूरी पर रोपाई की जाती है।
वर्षा ऋतु के प्रारंभ में रोपाई उत्तम मानी जाती है, सिंचाई के साधन रहने पर फरवरी माह में भी रोपाई की जाती है। एक हेक्टेयर के लिए 50000 से 75000 स्लिप की आवश्यकता होती है।
कुछ उन्नत किस्में:- ओ. डी.– 19, ओ. डी.– 40, प्रगति, आर.आर.एल- 16, प्रमाण तथा सुगंधी।
खाद एवं उर्वरक:- खेत की तैयारी के समय अंतिम जुताई के साथ कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह मिला दें।
नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश भी 150:40:40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अंतिम जुताई के समय देना चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा रोपाई के समय एवं शेष मात्रा दो किस्तों में 2-2 माह बाद।
जैविक विधि में केंचुआँ खाद नादेप कम्पोस्ट, एजोटोबैक्टर, पी.एस.बी. तथा करंज खल्ली देते हैं।
लेमन ग्रास की निराई-गुड़ाई एवं कीट नियंत्रण।
निराई-गुड़ाई:- पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के एक माह बाद करें, 2-3 बार निराई-गुड़ाई के बाद खरपतवार नहीं रहता। नींबू घास पाँच वर्षीय फसल है, प्रत्येक कटाई के बाद खाद या उर्वरक देना आवश्यक है।
जल प्रबंधन:- लेमन ग्रास के लिए सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती है, रोपाई के पश्चात भूमि में नमी आवश्यक है।
बरसात में सिंचाई की आवश्यकता बिलकुल नहीं होती है वहीं गर्मियों में 10 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 15 दिनों के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए।
फसल चक्र:- नींबू घास पाँच वर्षीय फसल है, अतः इसे पाँच वर्ष पर बदला जाता है। अनुपजाऊ भूमि पर फसल 3 साल के बाद बदल दें।
कटाई:- फसल लगाने के 5 वर्ष तक 2.5 से 3.0 महीने के अंतराल पर इसकी कटाई की जाती है। 4 से 5 कटाई प्रति वर्ष की जती है।
पौधों की कटाई भूमि से 10-15 सेंटीमीटर छोड़ कर ऊपर से करें। एक हेक्टेयर भूमि में 150-180 लीटर तेल प्रति वर्ष प्राप्त किया जा सकता है।
बीज संग्रह:- नवम्बर-दिसम्बर माह में इसमें फूल खिलते है तथा जनवरी-फरवरी में बीज एकत्र किया जाता है, 100-200 ग्राम बीज प्रति पौधा प्राप्त होता है।
पत्तियों का आसवन:- लेमन ग्रास को काटने के बाद तेल निकाला जाता है। वाष्प विधि अथवा आसवन विधि के लिए घास को 24 घंटे तक सूखने के लिए छोड़ देते हैं।
फिर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर कर आसवन टैंक में डाला जाता है। प्रक्रिया प्रारंभ होने के साथ सपेरेटर में तेल एकत्र होने लगता है।
कीट एवं रोग नियंत्रण
ऐसे किट प्ररोह में छेद कर देता है जिससे तने की पत्तियाँ सूख जाती है।
दीमक – नीम की खल्ली से उपचारित कर स्लिप को लगाना चाहिए।
श्वेत मख्खी – मोनोक्रोटोफ़ॉस 0.05 प्रतिशत का छिड़काव करें।
चूहा का प्रकोप – जिंक फास्फाईड या फिर बेरियम क्लोराईड का प्रयोग करें।
लेमन ग्रास की खेती से आय:- लेमन ग्रास की खेती में शुद्ध आय लगभग 2.5 लाख रुपए 5 वर्षों में कमाई की जा सकती है। ये आय नवीन तकनीक का उपयोग तथा बाज़ार की कीमतों के द्वारा बढ़ भी सकता है।