परिचय:- गुड़हल (हिबिस्कस) फूल मल्लो परिवार मालवेशी से संबंधित है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है, इसके व्यापक वैकल्पिक उपयोगों तथा गुणों के कारण इसकी खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे गुड़हल, अड़हुल अथवा जवाकुशुम के नाम से भी जाना जाता है।
उपयोग:- इसका उपयोग विभिन्न संस्कृतियों द्वारा अनेक रूप में किया गया है। परंतु औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण मुख्य तौर पर इसका उपयोग औषधि तथा सौंदर्य प्रसाधन बनाने में किया जाता है।
हिबिस्कस फूल और पत्तियों का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसकी चाय का उपयोग शरीर के तापमान को कम करने, हृदय और तंत्रिका रोगों का इलाज करने और मूत्र उत्पादन बढ़ाने के लिए मूत्रवर्धक के रूप में काम करता है।
कैंसर, सर्दी जुकाम, यकृत रोग और ठंड के लक्षणों का इलाज में भी परिणाम पाए गए हैं। इसमें एन्टी-एजिंग पाया जाता है, यह शरीर के रक्तचाप और सूची को बनाए रखता है।
जलवायु:- इसकी खेती के लिए गर्म व आद्र जलवायु उपयुक्त होता है। सभी गुड़हल के पौधे पूर्ण सूर्य में सबसे अच्छे होते हैं। यह 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक विकास करता है।
भूमि:- इसकी खेती के लिए हल्की रेतीली दोमट मिट्टी उत्तम होती है। इसके लिए नम लेकिन अच्छी तरह से सूखी मिट्टी की आवश्यकता होती है।
इसका रोपण करने से पहले मिटटी का संशोधन आवश्य करें। भूमि का पी. एच. मान 6.5 के आसपास होना चाहिए।
सिंचाई:- सर्दीयों के दिनों में इसमें अच्छे से फूल नहीं आते हैं। धूप मिलने पर इसका विकास बढ़िया तरीके से होता है। इसके पौधे को हमेशा अपनी जड़ तक पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है।
गुड़हल में पानी तथा हवा के आवागमन वाली मिट्टी की आव्यशकता होती है। अर्थात खेती में जलवायु का काफी महत्व है। सिंचाई की भी उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए।
खाद एवं उर्वरक:- गुड़हल के पौधों को पनपने के लिए बहुत सारे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। गर्मियों के समय में, एक उच्च पोटेशियम उर्वरक का उपयोग करें।
इसके लिए वाणिज्यिक उर्वरकों के पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता नहीं होती है। खाद या जैविक उर्वरक अच्छी तरह से काम करेंगे। बाकी मृदा परीक्षा के आधार पर उर्वरकों की मात्रा तय की जा सकती है।
गुड़हल फूल की उन्नत किस्में एवं रोग नियंत्रण।
कटाई छटाई:- अच्छी फसल प्राप्त करने हेतु समय-समय पर इसके वृक्ष की कटाई और छंटाई करनी चाहिए। इसकी छंटाई के लिए अगस्त से अक्टूबर का महीना उपयुक्त है।
उन्नत किस्में
गुड़हल के लगभग 200-220 प्रजातियां हैं और वे सभी रंग, आकार में भिन्न हैं। कुछ प्रसिद्ध प्रजातियाँ हैं।
उष्णकटिबंधीय:- यह फूल ज्यादातर हवाई में बढ़ता है। वे मालवसे परिवार के हैं और उनके उज्ज्वल पत्तों और जीवंत फूलों से पहचाना जाता है। यह बहुत सारे रंग में उपलब्ध है।
बारहमासी:- यह हिबिस्कस के उन समूह में से हैं जो सर्दियों में गायब हो जाते हैं और वसंत में फिर से दिखने लगते हैं। आमतौर पर यह ठंडा सहिष्णु है, लेकिन 28 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान होने पर मर जाते हैं।
हार्डी:- यह मल्लो परिवार का है। इसके 7-8 इंच चौड़े फूल होते हैं। यह अधिकतर सफेद, गुलाबी एवं लाल रंग में पाया जाता है, ठंड के मौसम में ये बहुत कठोर हो जाते हैं।
इनका विकास बहुत अधिक गर्मी में नही हो पता है, लेकिन ठंडी और शुष्क जलवायु में बहुत अच्छी तरह से विकसित होते हैं।
चाइना रोज:- इस फूल को “रोज ऑफ चाइना” नाम से भी जाना जाता है। इसे कालापन करने वाला पौधा भी कहा जाता है। यह 14 से 25 फीट की ऊंचाई का प्रसिद्ध एशियाई झाड़ी है। यह अंडाकार आकृति में है जो 3 से 4 इंच लंबा होता है।
लाल रंग का यह फूल औषधीय गुणों से भरा होता है। किडनी की समस्या और कैंसर जैसे कई रोगों के इलाज में इसका इस्तेमाल से काफी लाभप्रद साबित होता है।
रॉक:- यह फूल मैक्सिको और अमेरिका का है। इसकी ऊंचाई लगभग 2000 फीट तक हो सकती है। इसके पत्ते भूरे रंग क होते हैं तथा इसका फूल सफेद एवं बैंगनी रंग का होता है।
मोशेयूटोस:- यह एक बहुरंगा फूल है। जिसकी ऊंचाई 36 से 96 इंच तक हो सकती है, जिसका रंग सफ़ेद से गहरे गुलाबी होता है। पंखुड़ी लगभग 30 सेमी गहरे हरे रंग की पत्ती और पीले रंग की पुंकेसर के साथ होती हैं।
रोग एवं नियंत्रण
डायबैक रोग:- यह एक ऐसी रोग है जिसमें केवल एक शाखा या फूल का हिस्सा ही मुरझा जाता है। बाकि पौधे का भाग स्वस्थ रहता है। इसका कारण फूल हो सकता है जो पौधे से पूरी तरह से नहीं गिरते हैं। यह सर्दियों के मौसम में अधिक होता है जब कवक सक्रिय होते हैं।
नियंत्रण:- पौधे का वह हिस्सा काट देना चाहिए जो रोगग्रस्त हो। इससे प्रूनिंग में भी मदद मिलेगी जो समय-समय पर एक पौधे की जरूरत होती है। कटाई के बाद रोग को रोकने के लिए उस स्थान में मोम लगाना चाहिए।
फंगस रोग:- इस रोग में फूल और पत्तियों के साथ धीरे-धीरे उसकी शाखाएं भी सुख जाती हैं।
नियंत्रण:- नीम के तेल और पानी का मिश्रण पाउडर फफूंदी के लिए एक सुरक्षित, जैविक समाधान है। आप एक जैविक स्प्रे भी बना सकते हैं जिसमें एक चम्मच बेकिंग सोडा, वनस्पति तेल की कुछ बूंदें और पानी का एक चौथाई हिस्सा होता है।
कीमत:- बाज़ार में इसकी क़ीमत 170-350 प्रति किग्रा हो सकता है। ताजे एवं सूखे फूल का मूल्य भी भिन्न होता है।