अनार की खेती, फायदे एवं व्यापारिक लाभ।

अनार की खेती ज्यादातर गर्म जगहों जैसे की महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में होती है। एक अनार का पौधा 3-4 वर्ष में पेड़ बन जाता है और 25 वर्ष तक फल दे सकता है।

परिचय:- अनार की खेती ज्यादातर गर्म जगहों जैसे की महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में होती है। एक अनार का पौधा 3-4 वर्ष में पेड़ बन जाता है और 25 वर्ष तक फल दे सकता है।

रोजाना अनार खाने से खून की कमी नहीं होती, शरीर में कॉलेस्ट्रोल नहीं बनता जिस वजह से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है, तनाव नहीं होता, पेट के लिए लाभकारी और कैंसर से बचाव में मदद करता है।
अनार

फायदे:- अनार के दानों में विटामिन ए, विटामिन बी-12, विटामिन डी, कैल्शियम, प्रोटीन, पोटैशियम रफेज, फ्लेवोनॉइड्स नाम का एंटीऑक्सीडेंट होता है।

रोजाना इसे खाने से खून की कमी नहीं होती, शरीर में कॉलेस्ट्रोल नहीं बनता जिस वजह से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है, तनाव नहीं होता, पेट के लिए लाभकारी और कैंसर से बचाव में मदद करता है।

किस्में:- अरक्ता कंधारी, ढोलका जालोर बेदाना, ज्योति पेपर सेल, भगवा गणेश, रूबी मृदुला आदि कुछ अनार के प्रमुख किस्में है।खेती करने के लिए आप अपने क्षेत्र के अनुसार अनार की किस्म का चुनाव कर सकते है।

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी:- इसके पौधों को फरवरी-मार्च या फिर अगस्त रोपना उपयुक्त माना जाता है। अनार की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में हो सकती है।एक अनार का पौधा 3-4 वर्ष में पेड़ बन जाता है और 25 वर्ष तक फल दे सकता है।

पौधा रोपण:- अनार की खेती के लिए पौधा रोपण से लगभग 1 महीना पहले यानि की जनवरी-फरवरी या फिर मार्च के महीने में लगभग 60 सेंटीमीटर लंबे, 60 सेंटीमीटर चौड़े और 60 सेंटीमीटर गहरे गड्डे तैयार कर लीजिये।

अनार की खेती के लिए पौधा रोपण से लगभग 1 महीना पहले यानि की जनवरी-फरवरी या फिर मार्च के महीने में लगभग 60 सेंटीमीटर लंबे, 60 सेंटीमीटर चौड़े और 60 सेंटीमीटर गहरे गड्डे तैयार कर लीजिये।
अनार की खेती

2 गड्ढे के बीच की दूरी 4-5 मीटर होनी चाहिए। लगभग 15 दिनों तक इन गड्ढों को खुला छोड़ दे और फिर इसमें लगभग 20 किलो पकी हुई गोबर की खाद, 1 किलो सिंगल सुपर फॉस्फ़ेट, 0.50 ग्राम क्लोरो पायरीफास का चूर्ण तैयार कर सभी को गड्ढों में 15 सेंटीमीटर तक भर दें। इसके 15 दिन बाद इसमें पौधा रोप दे।

सिंचाई:- इसके ज्यादा उपज के लिए इसे सही मात्रा में सिंचाई करना जरुरी है। गर्मियों में पौधों को लगभग 5 – 7 दिनों बाद और ठंढ में लगभग 10 – 12 दिनों में सिंचाई कर देनी चाहिए। अनार के लिए बूंद-बंद सिंचाई अच्छी होती है।

रोग और रोकथाम:- अनार के पौधों में सड़ने वाले कीड़े का खतरा होता है इससे पौधे को बचने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करें। पौधों के आस-पास साफ-सफाई रखें और सर्दियों में पाले से बचाएं इसके लिए गंधक का तेज़ाब छिड़कते रहें।

तुड़ाई:- यह जब अच्छे से पक जाये तभी उसे तोडना चाहिए। फल लगने के लगभग 120 से 130 दिनों बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

उपज:- इसकी अच्छी देखभाल और उन्नत प्रबन्धन से 1 पेड़ से लगभग 80 किलो फल मिल सकते हैं।अगर 2 पौधों के बीच की दुरी कम है तो इस हिसाब से प्रति हेक्टयर लगभग 4800 क्विंटल तक फल मिल सकते है। 1 हेक्टयर से 8 – 10 लाख रुपए सालाना कमाया जा सकता है।

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