परिचय:- सहजन एक औषधीय पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा और अंग्रेजी नाम ड्रमस्टिक है। इसे अलग-अलग जगहो में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। सहजन के पत्ते, फूल और फल सभी काफी पोषक होते हैं जिससे कई तरह की औषधियां बनाई जाती हैं, और इसी वजह से इसकी मांग देश-विदेश में बहुत है।
सहजन की खेती से बहुत ही कम लागत करके काफी अधिक पैसा कमाया जा सकता है। इसकी खेती किसानो के लिए बहुत लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकता है।
फायदे:- सहजन में क्लोरोजेनिक एसिड, पॉलीफेनोल्स, पॉलीफ्लोनोइड्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, बीटा कैरोटीन, एथनोलिक एक्सट्रैक्ट आदि पाये जाते है।
सहजन और उसके पत्ते का खाने से बढ़ते वजन की परेशानी, कैंसर, मधुमेह, हड्डियों की, दिल की, हीमोग्लोबिन नियंत्रण, मस्तिष्क संबंधी बीमारी, लिवर आदि सम्बंधित समस्याओं में मदद करता है।
किस्में:- कोयम्बटूर 1, कोयम्बटूर 2, रोहित 1, पी.के.एम 1 और पी.के.एम 2 आदि सहजन के प्रमुख किस्में है।
जलवायु:- इसकी खेती के लिए 25-30° सेल्सीयस तापमान उपयुक्त माना जाता है। यह ठण्ड को सह सकता है लेकिन पाले से सहजन को नुकसान हो सकता है। फूल खिलने के समय 40° सेल्सीयस से ज्यादा तापमान के कारण फूल झड़ सकते है। वर्षा का इसके पौधे पे कुछ खास असर नहीं होता। सहजन अलग अलग प्रस्थितियो में उग सकता है।
मिट्टी:- यह किसी भी तरह की मिट्टी में अच्छे से उगाया जा सकता है यहाँ तक की बंजर खेत जिसमें सिचाई न हो, में भी इसकी खेती हो सकती है। लेकिन व्यवसायिक खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसका pH 6-7.5 हो उपयुक्त माना गया है।
पौधरोपण:- सहजन को बीज या क्राफ्टिंग के तरीके से लगाया जाता है। 1 हेक्टर खेत में 500-600 ग्राम बीज को तैयार गड्ढे में रोपा जाता है।
प्रति हेक्टर 1600 पौधे 2.5*2.5 मीटर की दुरी पे लगाया जाता है। 45*45*45 सेंटीमीटर आकार में गड्ढ़े के बिच में बीज को बोया जाता है। 10-12 दिन बाद बीज अंकुरित हो जाता है। 1 महीने बाद जब बीज पौधा बन जाये तो उससे जुलाई से सितम्बर में पहले से तैयार गड्ढे में रोप देना चाहिए।
सिंचाई:- सहजन को बिना पानी वाले जगहों में भी उगाया जा सकता है लेकि अच्छी उपज के लिए पहली सिंचाई पौधा लगाने के तुरंत बाद और उसके बाद नमी को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
खाद् और उर्वरक:- पौधा रोपने के 3 महीने बाद 100 ग्राम यूरिया, 50 ग्राम पोटाश, 100 ग्राम सुपर फास्फेट हर गड्ढे में डालना है और 3 महीने बाद 100 ग्राम यूरिया फिर से डालना है। इसकी जगह जैविक खाद का भी उपयोग किया जा सकता है।
उपज:- फसल की तोड़ाई फरवरी- मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में की जाती है। एक एकड़ में लगभग 1500 सहजन के पौधे लग सकते हैं जो 12 महीने में उत्पादन देते हैं। अगर पेड़ अच्छे से बढे तो 8 महीने में तैयार हो जाते है और कुल 3000 किलो तक उत्पादन हो जाता है।