परिचय:- एवकाडो एक ऐसा फल है जिसमें कई तरह के पोषण तत्त्व जैसे की फाइबर, स्वस्थ ओमेगा -3 फैटी एसिड, विटामिन ए, बी, सी, ई और पोटैशियम, तांबा, कैल्शियम, लोहा, सोडियम, जस्ता आदि पाये जाते हैं।
हालांकि लैटिन और दक्षिण अमेरिका के खाने में इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है लेकिन अब भारत में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है।
भारत में एवकाडो की खेती ज्यादा नहीं होती। इसकी खेती दक्षिण भारत के कुछ ही क्षेत्रों में जैसे की तमिलनाडु की पहाड़ी ढलानों, कर्नाटक में कूर्ग, केरल और महाराष्ट्र के कुछ भाग आदि में ही होती है।
उत्तर भारत में सिर्फ पूर्वी हिमालय में सिक्किम में 800 से 1600 मीटर के बीच की ऊंचाई पर इसकी खेती सफलतापूर्वक होती है।
अन्य जगहें जहां पर इसकी खेती के लायक मिट्टी और जलवायु मिल जाये, वहां इसकी खेती हो सकती है।
फायदे:- एवकाडो खाने से कोलेस्ट्रॉल कम करने में, मधुमेह में, लिवर मजबूत करने में, आँखों के लिए, कैंसर में और अन्य कई बिमारियों को ठीक करने में मदद करता है।
जलवायु एवं मिट्टी:- इसकी खेती के लिए उष्ण कटिबंध जलवायु की जरूरत होती है, जहाँ का तापमान 60% से अधिक नमी सहित 20°-30° सेल्सियस।
एवकाडो का पौधा लगभग 5 डिग्री सेल्सियस तक का ठंड सहन कर सकता है लेकिन इससे कम तापमान और 40 के आसपास का तापमान फल और फूल को नुक्सान पंहुचा देते है।
वर्षा एवं नमी:- इसकी खेती के लिए प्रतिवर्ष 100 सेमी से अधिक बारिश और 50-60% नमी की जरूरत होती है।
मिट्टी:- भारत के ज्यादातर जगहों में लाल मिट्टी पाई जाती है जो एवकाडो की खेती के लिए उपयुक्त नही है क्यूंकि इसमें पानी नहीं रुकता और चिकनी मिट्टी की मात्रा कम होती है।
इसकी खेती के लिए लेटराइट मिट्टी जिसमे चिकनी मिट्टी की मात्रा और इसमें पानी रोकने की क्षमता अधिक हो उपयुक्त मानी जाती है। और जिसका pH मान 7 या उससे कम हो।
रोपाई:- एवकाडो को बीज या कलम के तरीके से बोया जाता है। कलम के तरीके से बोए जाने वाले पौधे 4 साल में और बीज के तरीके से बोए जाने वाले पौधे 5 साल में फल देने लगते हैं।
खाद एवं उर्वरक:- एवकाडो को सबसे पहले और महत्वपूर्ण रूप से नाइट्रोजन और थोड़ा जस्ता की जरुरत होती है, इसलिए इसमें साइट्रस ट्री फ़र्टिलाइज़र या फिर जैविक खाद जैसे की कम्पोस्ट, कॉफ़ी, फिश इमल्शन आदि का उपयोग कर सकते हैं।
बीज रोपण और समय:- एवकाडो के पौधे को वसंत में लगाया जाना चाहिए जब मिट्टी का तापमान गर्म हो गए हों और जगह हवा और ठंड से सुरक्षित हो। इसके अलावा, एवकाडो के पौधे को लॉन के किसी भी क्षेत्र से दूर रखें जहां नाइट्रोजन के लिए मुकाबला हो और जिससे पौधे को उपयुक्त मात्रा में पोषण ना मिल पाये।
मुनाफा:- यह फल काफी महंगा है और बाज़ार में इसकी कीमत 100-2000 रुपये किलो तक है। भारत में इसकी खेती बड़े स्तर पर नहीं होती इसीलिए यह बाहर के देशों से आयात होता है।