ब्लूबेरी की खेती, फायदे तथा व्यापारिक लाभ।

ब्लूबेरी जिसे नीलबदरी के नाम से भी जाना जाता है एक नीले रंग का फल है जो कि आकार में गोल और छोटा और स्वाद में खट्टा मीठा होता है। यह एक ग्रीष्मकालीन फसल है, जो एरिकेसी परिवार से है। इसकी ज्यादातर खेती उत्तरी अमेरिका में होती है क्योंकि वहां की जलवायु और मिटटी इसके लिए उपयुक्त है। इसके अलावा यह यूरोप, कनाडा और भारत में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है।

परिचय:- ब्लूबेरी जिसे नीलबदरी के नाम से भी जाना जाता है एक नीले रंग का फल है जो कि आकार में गोल और छोटा और स्वाद में खट्टा मीठा होता है। यह एक ग्रीष्मकालीन फसल है, जो एरिकेसी परिवार से है। इसकी ज्यादातर खेती उत्तरी अमेरिका में होती है क्योंकि वहां की जलवायु और मिटटी इसके लिए उपयुक्त है। इसके अलावा यह यूरोप, कनाडा और भारत में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है।

ब्लूबेरी

किस्में:- इसके मुख्य रूप से 2 परिवार- रेबिटआई ब्लूबेरी और हाईबश ब्लूबेरी है, जिनमें में 3 अलग-अलग प्रकार के ब्लूबेरी शामिल हैं।
रेबिटआई ब्लूबेरी में प्रीमियर, टिफब्लू, पाउडरब्लू प्रकार और हाईबश ब्लूबेरी में क्रोएशिया, जर्सी और मर्फी प्रकार की बेरीज शामिल हैं।

फायदे:- ब्लूबेरी में 84% पानी, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, लोहा, मैंगनीज, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे मूल्यवान खनिज शामिल हैं। यह वजन कम करने, त्वचा के दाग, झुर्री, मुहासों के लिए, केंसर कुछ हद तक ठीक करने में, दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद, ब्लड प्रेशर कम करने के लिए, डायबिटीज के लिए और तनाव को दूर करने में मदद करता है।

नुकसान:- जिन्हें इससे एलर्जी है और जो रक्त विकारो से ग्रसित लोग है वो इसे ना खाये। गर्भवती महिलाओ के लिए यह अच्छा आहार है लेकिन इसका अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है इसीलिए इसे खाने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर ले।

जलवायु:- इसकी खेती ठंडी जलवायु में की जाती है। आमतौर पर आर्द्र उत्तरी जलवायु और हल्के ग्रीष्म जलवायु में भी इसकी खेती की जाती है। लेकिन अब इसकी कई जातियाँ है जिसकी खेती निचले ठन्डे इलाके में, गर्म इलाके में और तटीय इलाको में भी होने लगी है।

मिट्टी:- इसकी खेती के लिए रेतीली, अम्लीय मिट्टी जिसका पी.एच. मान 4-5.5 हो उपयुक्त होता है। अगर मिट्टी का पी.एच. मान ज्यादा है तो उसमे तो मिट्टी में थोड़ा सा सल्फर मिला दे जिससे पी.एच. मान कम हो सके। खेती करने से पहले खेत भी मिट्टी का जाँच जरूर करवाएं।

खेत की तैयारी:- खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले उसकी जुताई तब तक करें जब तक कि खेत में मौजूद सारे खरपतवार नष्ट ना हो जाये और वह अच्छी थिली अवस्था तक ना पहुँच जाये। खेत में जल निकास का अच्छा प्रवंधन होना चाहिए।

पौधा रोपण:- ब्लूबेरी को बीज से या मूल पौधे के दृढ़ लकड़ी काटने के माध्यम से अगर पर्याप्त सिंचाई हो तो साल के किसी भी महीने में लगाया जा सकता है। पौधा रोपने के लिए 2 पौधों के बीच की दुरी 1 मीटर और पंक्तियों के बीच की दूरी 3 मीटर होनी चाहिए।

ब्लूबेरी की खेती

सिंचाई:- ब्लूबेरी की पहली सिंचाई पौध रोपने के तुरंत बाद और उसके बाद हफ्ते में एक बार करनी चाहिए। इसके खेती के लिए सामान्य पानी के मुकाबले बरसात का पानी ज्यादा अच्छा होता है क्यूंकि उसमे अधिक क्षारीय होते है। मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए पौधों को निरन्तन पानी देते रहे।

खाद एवं उर्वरक:- ज्यादा उपज प्राप्त करने के लिए और खेत की उर्वरता बढ़ाने के लिए खेत तैयार करने के समय उसमे जैविक खाद जैसे की गोबर या वर्मीकम्पोस्ट दे। इसके साथ ही ब्लूबेरी के लिए अम्लीय मिट्टी अच्छा होते इसीलिए इसमें अमोनियम सल्फेट, अमोनियम नाइट्रेट, सल्फर लेपित यूरिया वसंत में पत्ती बढ़ने से पहले दे।

खरपतवार नियंत्रण:- पौधा रोपने के बाद समय समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए जिससे खेत में मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाये नही तो वह पौधों के विकास को कम कर सकते है।

कीट, रोग एवं रोकथाम:- इसकी खेती में कोई खास रोग नही देखा जाता। पँछियों द्वारा फल खा जाने की समस्या है इसके लिए पंछियों को खेत से दूर रखे।

फसल की तुराई:- ब्लूबेरी का पौधा साल में एक बार फल देता है और अगस्त-सितंबर के महीने में कटाई शुरू हो जाती है। पौधे की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कोशिश करे की पहले 1-2 साल तक पौधा फल न दे इसके लिए इसके फूल तो पहले ही तोड़ ले। पौधे की जड़ को मजबूत और लंबे समय तक जीवित रखने के लिए पौधे के निचले हिस्से पर उगने वाले फलों को हटा दें। ब्लूबेरी के नीले होते ही उसे ना तोड़े, इसे तोड़ने के लिए कुछ दिनों तक प्रतीक्षा करें।

फसलबाज़ार

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