परिचय:- कोलार्ड सबसे पौष्टिक सब्जियों में से एक है, जो गोभी परिवार से संबंधित है लेकिन वे सिर नहीं बनाते। इन्हे इनकी ढीले ढाले, बड़े, गहरे हरे पत्तियों के लिए उगाया जाता हैं। एक बार पौधा लगाने के बाद साल भर पैदावार मिल सकता हैं, लेकिन पहले ठंढ के बाद ठंडे महीनों में खाने में अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं।
इसकी खेती ब्राजील, केन्या, पुर्तगाल, दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका, जिम्बाब्वे, इटली, तंजानिया, युगांडा, बाल्कन, उत्तरी स्पेन आदि देशों के अलावा भारत में कश्मीर में की जाती है।
फायदे:- कोलार्ड में कम मात्रा में कैलोरी और ज्यादा मात्रा में प्रोटीन, विटामिन-के, और मिनरल होता है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैल्शियम, मैंगनीज, फाइबर और पानी आदि भी पाये जाते हैं।
इसे खाने से पाचन, हड्डी के रोग, हृदय रोग, चीनी के स्तर (मधुमेह) पर और मानसिक क्षमताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही कैंसर के खिलाफ लड़ाई, पाचन में सहायता, स्वस्थ त्वचा और बालों को बनाए रखने में भी मदद करती है।
किस्में:- कोलार्ड की कुछ किस्में ब्लू मैक्स, चैंपियन, वेट्स, मॉरिस हेडिंग, फ्लैश, जॉर्जिया एलएस, तर्वे ट्रेंचुडा, ग्रोनिंगर ब्लौव और टॉप बंच आदि हैं।
जलवायु:- ठंड में इसका विकास सबसे अच्छा होता है लेकिन यह ध्यान देने की जरुरत है की जितना संभव हो उतनी धूप इसे मिलती रहे। लगभग 7°-30° सेल्सीयस मिट्टी के तापमान में इसकी खेती करना उपयुक्त रहता है।
यदि आप गर्म ग्रीष्मकाल और हल्के सर्दियों वाले जगहों में खेती करना चाहते हैं, तो देर से सर्दियों या शुरुआती वसंत में अपने कोलार्ड का रोपण करें जब तापमान लगभग 7° सेल्सीयस हो जाये।
मिट्टी:- कोलार्ड ग्रीन की खेती अच्छी तरह से सुखी, कार्बनिक पदार्थ वाली मिट्टी जिसका pH मान 6 हो, अच्छे से होती है।
खेत की तैयारी:- खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत को साफ़ कर छोटे छोटे कंकड़ पत्थर हटा दे। खुदाई से पहले खेत में 4 इंच खाद की परत फैलाएं और उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दे। अगर ज्यादातर मिट्टी चिकनी या हल्की रेत है, तो कार्बनिक पदार्थ भी दे।
एक कोलार्ड के पौधे की जड़ें 2 फीट अधिक की गहराई तक आसानी से पहुंच जाती हैं। इसकी जड़े आसानी से बढ़ सके इसीलिए मिट्टी को जितना संभव हो उतना गहरा या कम से कम 10 इंच खोदें जिससे मिट्टी ढीला होगा और पौधों की छोटे फीडर की जड़े आसानी से बढ़ पायेगी। खेत को समतल भी कर ले जिससे पानी निकास अच्छे से हो सके।
बुआई:- कोलार्ड को प्रत्यारोपण से या सीधे खेत में बीज बोके खेती किया जा सकता है। आमतौर पर प्रत्यारोपण वसंत फसल के लिए उपयोग किया जाता है। जिस कारण से उसे फसल देने में 4 से 5 हफ्ते अधिक लगता है क्योंकि वे मौसम के गर्म होने से पहले घर में बीज बोने के लिए उगाए जाते हैं।
जब मिट्टी का तापमान 7° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तो कोलार्ड के बीज अंकुरित होते हैं। इसके लिए पंक्ति बनाये और उसमे लगभग 1/2 इंच गहरा गड्ढा खोद कर उसमें बीज बोए। उसे ढीली मिट्टी या खाद के ¼ इंच के साथ बीज को कवर करें फिर सिंचाई करें। 6-12 दिनों में पौधों को आ जाना चाहिए। पंक्ति में 18- 24 इंच की दूरी रखते हुए पौधे को खेत में प्रत्यारोपण स्थानांतरित करें।
सिंचाई:- पहली सिंचाई बीज बोने और पौधा लगाने के तुरंत बाद करे और उसके बाद की सिचाई हफ्ते में 1 बार करे अगर बारिश न हो तो।
खाद:- अपने गहरे हरे पत्ते के रंग को विकसित करने के लिए कोलार्ड को नाइट्रोजन की जरुरत होती है। बीज बोने के समय प्रति पौधे के लिए 1 चम्मच उर्वरक दे। उर्वरक को मिट्टी, और पानी के साथ हल्के से मिलाएं। यदि पौधों पीले हो जाते हैं और यह कीड़ों की वजह से ना हुआ हो तो पौधों फिर से बोना पड़ सकता है। जब पौधे अपने अंतिम स्थान पर पतले हो जाते हैं या यदि वे हल्के हरे हो जाते हैं, तो थोड़ा और उर्वरक डालें।
निराई गुड़ाई:- खरपतवार को उखाड़ें या उन्हें सावधानी से काटें ताकि कोलार्ड की जड़ों को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
कीट और रोकथाम:- कोलार्ड कुछ ही बीमारियों के अधीन हैं। यदि पौधों की पत्तियों पर धब्बे हैं, तो आपको कवकनाशी का उपयोग कर सकती है। पौधों की रोजाना जांच करें, अगर कोई बीमारियां दिखती हैं, तो एक अनुमोदित कवकनाशी से उनका इलाज करें। नीम का तेल, सल्फर, जैविक विकल्पों में बीटी आधारित कीटनाशक, और अन्य कवकनाशी उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।
कटाई:- आमतौर पर, केवल कोलार्ड की निचली पत्तियों को काटा जाता है लेकिन छोटे पौधों के लिए जिन्हें पतले होने की आवश्यकता होती है, उन पौधे को जमीन से लगभग 4 इंच ऊपर से काट ले। कभी-कभी वे स्टेम के किनारे से वापस उग जाते हैं। यह पौधे को बढ़ते रहने और अधिक पत्तियों का उत्पादन करने की अनुमति देता है।