कड़ी पत्ते की व्यापारिक खेती, सिंचाई और फायदे।

कड़ी पत्ते को मीठा नीम के नाम से भी जाना जाता है। इसका पौधा देखने में कड़वे नीम की तरह ही होता है, लेकिन इसकी पत्तियां किनारों पर से कटी हुई नही होती। इसके पेड़ की ऊंचाई अधिकतम 15 से 20 फिट तक होती है।

परिचय:- कड़ी पत्ते को मीठा नीम के नाम से भी जाना जाता है। इसका पौधा देखने में कड़वे नीम की तरह ही होता है, लेकिन इसकी पत्तियां किनारों पर से कटी हुई नही होती। इसके पेड़ की ऊंचाई अधिकतम 15 से 20 फिट तक होती है।

इस पौधे को लगभग 2 मीटर तक ही बढ़ने देते हैं। मीठे नीम की पत्तियों का इस्तेमाल मुख्य रूप से मसाले और औषधियों में किया जाता है। इस कारण इसके पौधे को मसाले और औषधीय पौधों की श्रेणी दोनों में शामिल किया गया हैं।

इस पौधे को लगभग 2 मीटर तक ही बढ़ने देते हैं। मीठे नीम की पत्तियों का इस्तेमाल मुख्य रूप से मसाले और औषधियों में किया जाता है। इस कारण इसके पौधे को मसाले और औषधीय पौधों की श्रेणी दोनों में शामिल किया गया हैं।
कड़ी पत्ता

जलवायु:- इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु अधिक उपयुक्त होती है। इसके पौधे की विकास करने के लिए सूर्य के सीधे प्रकाश की आव्यशकता है।

इसके पौधे को एक बार लगाने के बाद 10 से 15 साल तक पैदावार लिया जा सकता है। इसकी खेती के लिए सामान्य पी.एच. वाली जमीन की जरूरत होती है।

उपयुक्त मिट्टी:- इसकी खेती के लिए अच्छी जल प्रबंधन वाली उपजाऊ भूमी की जरूरत होती है। जल भराव होने की वजह से इसके पौधों में कई तरह के रोग लगने की संभावना बढ़ जाती हैं, अतः जल निकास की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए। जमीन का पी.एच. मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

खेती की तैयारी:- पहले गहरी मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की जुताई करें। पलाऊ लगाने के बाद कल्टीवेटर से दो से तीन जुताई कर खेत में पाटा चला कर समतल कर दें। इसके बाद खेत में तीन से चार मीटर की दूरी पर हलके गड्डे पंक्ति के रूप में ही तैयार करें।

प्रत्येक पंक्तियों के बीच बराबर दूरी बनाकर रखे। इन गड्डों में पुरानी गोबर की खाद तथा जैविक उर्वरक की सही मात्रा को मिट्टी में मिलाकर उन्हें गड्डों में 15 दिन पहले भर दें। मिट्टी के भरने के बाद गड्डों की अच्छे से सिंचाई करें।

बीज रोपाई:- कढ़ी पत्ते के पौधे बीज तथा कलम के माध्यम से भी लगाया जा सकता है। अधिकतर किसान इन्हें बीज के माध्यम से ही लगाना पसंद करते हैं। बीज और कलम दोनों ही माध्यम से लगाने पर पैदावार में कोई अंतर नहीं होता।

एक एकड़ में लगभग 70 किलों बीज की आव्यशकता होती है। बीजों को खेत में बनाए गए गड्डों में लगाया जाता है। इसके बीजों को गड्डों में लगाने से पहले उपचारित कर लेना चाहिए। बीजों को गड्डों में लगभग तीन से चार सेंटीमीटर नीचे गाड़ें।

रोपाई सर्दी के मौसम को छोड़कर कभी भी की जा सकती है। मार्च का महीना उत्तम होता है, सितम्बर से अक्टूबर माह तक ये काटने के लिए तैयार हो जाता है। पहली कटाई बीज रोपाई के सात महीने बाद, उसके बाद हर तीसरे महीने पौधा कटाई के लिए तैयार हो जाता हैं।

कड़ी पत्ते की सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण।

पौधों की सिंचाई:- इसके बीजों को लगाने के तुंरत बाद उनकी सिंचाई करना आवश्यक है। गड्डों में नमी बनाए रखने के लिए दो से तीन दिन के अंतराल में पानी की आव्यशकता होती है। बीज के अच्छे से अंकुरित होने के बाद गर्मियों के मौसम में सप्ताह में एक बार पौधों को पानी देना चाहिए। सर्दियों में पौधे को पानी आव्यशकता अनुसार ही दें।

इसके बीजों को लगाने के तुंरत बाद उनकी सिंचाई करना आवश्यक है। गड्डों में नमी बनाए रखने के लिए दो से तीन दिन के अंतराल में पानी की आव्यशकता होती है। बीज के अच्छे से अंकुरित होने के बाद गर्मियों के मौसम में सप्ताह में एक बार पौधों को पानी देना चाहिए। सर्दियों में पौधे को पानी आव्यशकता अनुसार ही दें।
कड़ी पत्ते की खेती

उर्वरक की मात्रा:- खेत की तैयारी के वक्त 200 क्विंटल सड़ी गोबर खाद प्रति एकड़ के हिसाब मिट्टी में मिला दें। उसके बाद हर तीसरे महीने जैविक खाद पौधों को दें।

खरपतवार नियंत्रण:- खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली गुड़ाई रोपण के एक महीने बाद दूसरी गुड़ाई दो महीने बाद और तीसरी गुड़ाई तीन से चार महीने बाद करें। पौधे की कटाई के तुरंत बाद एक बार गुड़ाई करना उचित है।

रोग और रोकथाम

कीटों का आक्रमण:- कढ़ी पत्ते के पौधे पर कीटों का आक्रमण मौसम परिवर्तन की वजह से होता है। पौधे पर लगने वाले किट और उनके लार्वा इसकी पत्तियों को नुक्सान पहुँचाते है अतः कीटों के आक्रमण से बचाने के लिए पौधे पर नीम का तेल अथवा नीम के पानी का छिडकाव करें।

जड गलन:- जड़ गलन जल भराव के कारण होता है इससे पूरा पौधा नष्ट हो जाता है। इससे बचाव के लिए पौधों की जड़ों में पानी भरा ना रहने दें। जड़ों में ट्राइकोडर्मा का छिडकाव करना बहुत उचित होता है।

दीमक:-दीमक मिट्टी में रहकर पौधे की जड़ों को नुक्सान पहुँचाती है। रोकथाम के लिए बीज को क्लोरोपाइरीफास से उपचारित करने के पश्चात खेत में लगाएं।

पत्तों को सुखाना:- पौधों की कटाई के बाद सभी बड़ी पत्तियों को छायादार जगह में सूखा लेना चाहिए। सूखाने के दौरान पत्तियों को रहें, नही पलटने से उनमें सडन पैदा हो जाती है। सूख जाने बाद पत्तियों को चूर्ण बनाकर या पत्तियों को सीधा बाज़ार में बेच दिया जाता है।

पैदावार और लाभ:- कड़ी पत्ते की एक साल में चार बार कटाई की जाती है। एक एकड़ से साल भर में तीन से चार टन माल आसानी से मिलता है जिससे एक लाख से ज्यादा की कमाई की जा सकती है।

फसलबाज़ार

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