गन्ने की खेती, देखभाल तथा इसके लाभ।

गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। यह वाणिज्यिक फसल हैै, गन्ने को नकदी फसल भी कहते हैं। यह चीनी और गुड़ उत्पादन का मुख्य श्रोत है। भारत का स्थान चीनी उत्पादन में दूसरा है।

परिचय:- गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। यह वाणिज्यिक फसल हैै, गन्ने को नकदी फसल भी कहते हैं। यह चीनी और गुड़ उत्पादन का मुख्य श्रोत है। भारत का स्थान चीनी उत्पादन में दूसरा है। गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार देती है। इसके निर्यात से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त की जाती है।

गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए अक्टूबर-नवंबर का समय उत्तम रहता है। बसंत कालीन गन्ना फरबरी मार्च के महीने में लगाया जाता है।
गन्ना

गन्ने की प्रमुख किस्में


अनुमोदित किस्में:-

शीघ्र पकने वाली – ये 9-10 माह में कटाई के लिए तैयार होती है। को. 7314 , फसल प्रति एकड़ – 320-360 कुंतल।

को. 64 ,फसल प्रति एकड़ – 320-360 कुंतल, को.सी. 671, फसल प्रति एकड़ – 320-360 कुंतल।

देर से पकने वाली – यह फसल 12-14 महीनें में काटने लायक हो जाती है। को. 6304 उपज 380-400 कुंतल प्रति एकड़।

को.7318 उपज – 400-440 कुंतल प्रति एकड़, को. 6217 उपज – 360-400 कुंतल प्रति एकड़।

नई उन्नत किस्में:-

9 -10 माह में पकने वाली – को. 8209, को. 7704, को. 87010, को. जवाहर 86-141, जवाहर 86-572, 12-14 माह में पकने वाली – को. जवाहर 94-141, को. जवाहर 86-600 , को.जवाहर 86-2087।

बुआई:- गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए अक्टूबर-नवंबर का समय उत्तम रहता है। बसंत कालीन गन्ना फरबरी मार्च के महीने में लगाया जाता है।

भूमि – काली भारी मिट्टी, पीली मिट्टी, तथा रेतेली मिट्टी जिसमें जल भराव न हो गन्ने के लिए उत्तम है।

खेत की तैयारी:- गन्ना एक बहुवर्षीय फसल है। इसके खेत की तैयारी इसे ध्यान में रख कर की जाती है। अतः खेत की गहरी जुताई के बाद दो बार कल्टीवेटर कर पाटा चलाकर समतल कर लें। मिट्टी अच्छी तरह भुरभुरी होनी चाहिए इससे जड़ें गहराई तक जाती है और पौधे को पोषक तत्व मिलेंगे।

गन्ना एक बहुवर्षीय फसल है। इसके खेत की तैयारी इसे ध्यान में रख कर की जाती है । अतः खेत की गहरी जुताई के बाद दो बार कल्टीवेटर कर पाटा चलाकर समतल कर लें । मिट्टी अच्छी तरह भुरभुरी होनी चाहिए इससे जड़ें गहराई तक जाती है और पौधे को पोषक तत्व मिलेंगे।
गन्ने की खेती

बीज का चुनाव:– 9 से 10 माह के उम्र का गन्ना बीज के लिए उपयोग करना उत्तम होता है। बीज उन्नत जाति, मोटा, ठोस, शुद्ध व रोग रहित हो।

बीज की मात्रा:- एक ऑख का टुकड़ा वाला बीज प्रति एकड़ 10 क्विंटल, 2 ऑख के टुकड़े वाला बीज लगाने पर 20 क्विंटल, पॉली बैग अथवा पॉली ट्रे के नवीन उपयोग से बीज की बचत होती है तथा उत्पादन भी अधिक होता है।

कटाई:- तेज धार वाले ओजार से गन्ना की कटाई करेें। कटाई करते समय ध्यान रखें की ऑख के ऊपर वाला भाग 1/3 तथा निचला हिस्सा 2/3 भाग रहे।

गन्ने की देखभाल तथा सिंचाई।

गोबर खाद या कम्पोस्ट:- बुआई के समय नालियों में गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना चाहिए। गोबर के खाद जमीन में हवा व पानी की संतुलन बनाये रहने में सहायक है। हरी खाद, मुर्गी खाद बायोकम्पोस्ट, गन्ने की सुखी पत्तियां अन्य घासफूस की पलटवार करके भूमि में कार्बनिक पदार्थ मिलायें।

रसायनिक उर्वरको का प्रयोग:– फसलो की उचित बढ़वार, उपज तथा गुणवत्ता के लिये पोषक तत्वों का सही अनुपात और मिट्टी परिक्षण के रिपोर्ट के अनुसार ही प्रयोग करें। यूरिया, सुपरफास्फेट, व म्यूरेट ऑफ़ पोटाश जैसे उर्वरको उचितमात्रा में फसल को दें।

मिट्टी चढ़ाना:– गन्ना फसल में डेढ़ से दो माह की समयावधि में हल्की मिट्टी चढ़ाना चाहिए। तथा जब कांसे निकल आये तव भारी मिट्टी चढ़ाना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण:– गन्ना बुआई के पश्चात् पहले 4 माह तक खरपतवार नियंत्रण करने से गन्ना उत्पादन में 50 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। इसके लिए 3-4 बार गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई:- सिंचाई की आवश्यकता मिट्टी व जलवायु पर निर्भर करती हैं । मिट्टी में रेत की मात्रा अधिक होने पर सिंचाई की अधिक आव्यसक्ताा होगी। भारी मिट्टी में सिंचाई की कम आव्यसक्ता है। मिट्टी में जीवांश की मात्रा अधिक होने पर जलग्रहण की क्षमता बढ़ती है।

गन्ने में अंतरवर्ती फसल:– अंतरवर्ती फसल के रूप में उस फसल का चुनाव करें जो की गन्ने की फसल से प्रतिस्पर्धा ना करें। इसके लिए प्याज, आलू, राजमा, धनिया, मूंग, उड़द तथा सब्जियां लगायें।

गन्ने की खेती से किसान 50 हजार से 2 लाख तक प्रति एकड़ कमाई कर सकता है। ये उनके कृषि तकनीक पर निर्भर है। जहाँ 400 कुंतल से 1000 कुंतल प्रति एकड़ फसल उगाई जा सकती है।

फसलबाज़ार

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