गुड़ बनाने का उद्योग, मशीनरी एवं उचित योजना।

भारत में गुड़ का इस्तेमाल चीनी के विकल्प के रूप में किया जाता है। इसे गन्ने और खजूर के पेड़ के तने से रस निकाल के, फलो और शलगम से बनाये जाते है। इसे बनाने का ज्यादातर व्यापार ऐसे जगह पर होता है जहाँ इन सबकी की खेती होती हो, लेकिन बाकी जगहों पर भी इसे बनाया जा सकता है।

परिचय:- भारत में गुड़ का इस्तेमाल चीनी के विकल्प के रूप में किया जाता है। इसे गन्ने और खजूर के पेड़ के तने से रस निकाल के, फलों और शलगम से बनाये जाते हैं। इसे बनाने का ज्यादातर व्यापार ऐसे जगह पर होता है जहाँ इन सबकी खेती होती हो, लेकिन बाकी जगहों पर भी इसे बनाया जा सकता है।

इसका इस्तेमाल अलग-अलग तरह के पकवान बनाने के लिए किया जाता है, जिस वजह से बाजार में इसकी बहुत मांग है। गुड़ सेहत के लिए बहुत गुणकारी होता है और इसे ज्यादातर ठण्ड में खाया जाता है।

फायदे:- गुड़ में विटामिन ए, विटामिन बी, ग्लूकोज, फास्फोरस, सुक्रोज, आयरन, जस्ता, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नेशियम आदि पाए जाते हैं। इसे खाने से झाइयों और दाग-धब्बों हटाने में, एसिडिटी से छुटकारा, खून की कमी दूर करने में, ब्लड प्रेशर कंट्रोल, सर्दी-जुकाम मे, हड्डियां और शरीर मजबूत और एक्टिव करने में मदद मिलती है।

सम्भावना:- भारत उन कुछ देशों में से एक है, जहां चीनी की खपत सबसे ज्यादा है इसीलिए यहाँ चीनी के साथ साथ गुड़ की मांग भी बहुत है। यहाँ पर साल भर गुड़ की बिक्री होती रहती है यही कारण है की अगर आप गुड़ बनाने का व्यापार करना चाहते हैं तो यह एक मुनाफ़े का व्यापार साबित हो सकता है।

प्रशिक्षण:- अगर आपको गुड़ बनाना नही आता तो आप खादी ग्राम उद्योग प्रशिक्षण केंद्र में जाकर आप गुड़ बनाने की प्रक्रिया सीख सकते हैं या फिर कृषि अनुसन्धान केंद्र में जाकर इसकी प्रक्रिया को समझ सकते हैं। आप बस इस बात का ध्यान रखे की आपके द्वारा बनायीं गुड़ स्वादिस्ट और अनोखा हो तभी आपका व्यापर लम्बे समय तक चल सकता है।

व्यापार की शुरुआत:- इस व्यापार को शुरू करने के लिए निवेश के रूप में मशीनरी और कच्चे माल के खर्चे लगेंगे। यह इस बात पर भी निर्भर करता है की आप किस जगह पर और किस चीज़ से गुड़ बना रहे हैं। इसके अनुसार आपके अन्य खर्च जैसे कि मजदूर, कमर्शियल बिजली कनेक्शन, परिवहन, बिक्री लागत आदि भी निर्भर होगी। सब मिला के लगभग 25-30 हजार रुपये से व्यापर शुरू किया जा सकता है इसके आगे आज जितना व्यापार एक्सपैंड करना चाहे उस हिसाब से निवेश बढ़ता रहेगा।

कच्ची सामग्री:- गुड़ बनाने के लिए कच्चा माल इस बात पर निर्भर करता है कि आप गुड़ किस सामग्री से बनाना चाहते हैं। इनके दाम मौसम, उत्पादन, क्षेत्रों और मांग पर निर्भर करता है। ज्यादातर गुड़ बनाने के लिए, गन्ने का इस्तेमाल किया जाता है जो आप या तो सीधे किसान से खरीद सकते हैं या फिर होलसेल में खरीद सकते हैं। गन्ने एक सीजनल फल होते हैं जिन्हे ज्यादा समय तक रखा नहीं जा सकता इसलिए इसे खरीदने के तुरंत बाद ही गुड़ बना ले।

मशीनरी:- इस उद्योग को शुरू करने के लिए कई तरह के मशीन बाजार में उपलब्ध है जो की छोटे उद्योग के लिए 10 हज़ार से 1 लाख तक की आ जाती है। आप अगर बड़े स्तर पर यह उद्योग करना सगाहते है तो 1 लाख से अधिक की भी मशीन ले सकते है जिसमे 1 बार में मदगिक गुड़ बनाने की क्षमता हो। मशीन के साथ ही आपको एक बड़े से कडाहा, जिसमे गन्ने के रस को उबाला जा सके और एक अन्य बर्तन जिसमे गुड़ को ठंडा कर सके, की जरुरत होगी।

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इस उद्योग को शुरू करने के लिए कई तरह के मशीन बाजार में उपलब्ध है जो की छोटे उद्योग के लिए 10 हज़ार से 1 लाख तक की आ जाती है। आप अगर बड़े स्तर पर यह उद्योग करना सगाहते है तो 1 लाख से अधिक की भी मशीन ले सकते है जिसमे 1 बार में मदगिक गुड़ बनाने की क्षमता हो। मशीन के साथ ही आपको एक बड़े से कडाहा, जिसमे गन्ने के रस को उबाला जा सके और एक अन्य बर्तन जिसमे गुड़ को ठंडा कर सके, की जरुरत होगी।
गुड़ बनाने का उद्योग

जगह:- इस व्यापार को आप छोटे स्तर पर घर पे कम से कम 12*12 का एक कमरा में भी शुरू कर सकते है जहाँ पर आप मशीन, मोटर तथा कुछ गन्नो को रख सके और गुड़ बना सके। लेकिन ऐसे जगह में यह व्यापार शुरू करने से कुछ ख़र्चे बच सकते है जहाँ गन्ने या जिस भी सामग्री का आप गुड़ बना रहे हो वो आसानी से मिल जाये और आप उसे आसानी से बेच भी पाओ।

प्रक्रिया:- गुड़ बनाने के लिए आप सबसे पहले मशीन द्वारा रस निकाल ले और उसे एक बड़े कडाहे में डाल कर उबल ले। इस बीच कडाहे में झाग निकलता है जिसे बाहर निकालते रहे। रस को गाढ़ा करने के लिए सुखालाई के पौधे का रस मिलाएं और रस गाढ़ा होने के बाद उसे दुसरे बरतन में ठंडा होने के लिए फैला दे जिसके बाद वह गुड़ बन जायेगा।

लाइसेंस और अनुमति:- इस उद्योग के लिए खाद्य विभाग से लाइसेंस, कंपनी या लघु उद्योग यूनिट (छोटे स्तर के लिए) रजिस्ट्रेशन, ट्रेड लाइसेंस, फूड लाइसेंस, एफएसएसएआई सर्टिफिकेट, ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन आदि के अधीन पंजीकरण कराना होता है।

ब्रांड और पैकेजिंग:- अपने प्रोडक्ट और व्यापार का एक ब्रांड नाम रख दे, जिससे आपकी बाजार में एक पहचान बन सके और आपके ज्यादा से ज्यादा ग्राहक बन सके। अपने बनाये गुड को अलग अलग क्वांटिटी का, पोलीथीन में पैक कर बेचे। हो सके तो ऐसे पॉलिथीन का इस्तेमाल करे जिसपे आपके उद्योग का ब्रांड प्रिंट हो जिससे लोगो में आपकी पहचान बनेगी।

प्रोमोशन:- बाजार में गुड़ के कई व्यापारी पहले से ही है इसीलिए आपको मार्केटिंग पर भी खास ध्यान देना होगा। अपने बजट को ध्यान में रखते हुए उचित मार्केटिंग प्लानिंग करें।

फसलबाज़ार

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