नमस्कार मित्रों हम पुनः उपस्थित हैं फसलबाज़ार के साप्ताहिक विवरण के साथ। साथियों इस सप्ताह हमनें दो नई श्रेणी हर्बल तथा पशुपालन को आप सबके कहने पर शामिल किया। जिसमें औषधीय पौधों की खेती तथा डेयरी उद्योग शामिल है।
बहुत अच्छा लगता है आप लोगों के साथ काम करना और जानकारी साझा करना। आप लोगों के नए-नए डिमांड के लिए नए रिसर्च से हमें भी लगातार नई-नई चीजें सीखने का मौका मिल रहा है।
आपके उत्साह को देखते हुए हमें पूरी उम्मीद है की आप लोग भी हमारे द्वारा लिखे गए लेख से संतुष्ट होने लगे हैं। हमारे ट्वीटर के मित्रों का बहुत आभार जो लगातार हमारे पोस्ट को रिट्वीट कर रहें हैं। हमारे पोस्ट पढ़ने और लाभ लेने के लिए आपका आभार।
पशुपालन:- पशुपालन कृषि विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है। इसके अंतर्गत पालतू पशुओं के प्रत्येक पक्षों का अध्ययन किया जाता है। जैसे भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि।
आज के परिदृश्य में इसका पठन-पाठन विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय के रूप में किया जा रहा है। इसमें हमनें बात की थी मछली पालन, मुर्गी पालन तथा डेयरी ऊद्योग के तहत गाय तथा भैंस पालन।
मछली पालन
मत्स्य पालन तटीय क्षेत्रों में सदा से आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत रहा है। मीठे जल में भी मत्स्य पालन में जबरदस्त आर्थिक क्षमता है। इसमें कृषि आधारित आजीविका के अन्य स्त्रोतों से बहुत अधिक फायदे हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के परिवार अधिक कार्यरत हैं।
देश में मीठे जल के मत्स्य पालन से होने वाले लाभ:- मछली पानी का उपभोग नहीं करती, लागत कम होती है, मछलियाँ में प्रजनन क्षमता अधिक होती है, श्रम की बहुत कम आवश्यकता होती है।
उपभोक्ता की दृष्टि से मछली कोलेस्ट्रोल मुक्त विटामिन, वसा, कैल्शियम, फास्फोरस और अन्य पोषक तत्वों से समृद्ध उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन से भरपूर है। पानी के अतिरिक्त मछली को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, भोजन और जगह की आव्यसक्ता होती है।
मुर्गी पालन
मुर्गी पालन एक सफल व्यवसाय है। यह एक ऐसा व्यापार है जिसको कम पूंजी, कम समय, कम मेहनत और कम जगह में प्रारंभ किया जा सकता है। आज भारत में एक अनुमान के मुताबिक लगभग 50-60 लाख लोग मुर्गी पालन रोजगार से जुड़े हुए है।
पोल्ट्री बिज़नेस को प्रारंभ करना बहुत कठिन नहीं है, बल्कि थोड़े लगन और कड़ी मेहनत से अच्छा खासा व्यापार किया जा सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक मुर्गी पालन लगभग 15% ग्रोथ रेट के साथ बढ़ रहा है तथा इसमें असीम संभावनाए है।
हर्बल एवं डेयरी उद्योग के मुनाफे।
डेयरी ऊद्योग
डेयरी उद्योग के तहत पशुपालन हमारे देश में ग्रामीणों के लिए सिर्फ आमदनी का उत्तम जरिया भी रहा है। सही जानकारी के अभाव में अकसर लोग इसका पूरा फायदा नहीं उठा पाते हैं।
इससे संबंधित थोड़ा सा ज्ञान और सही दिशा में की गयी प्लानिंग बेहतरीन मुनाफे का रास्ता दिखा सकती है।
डेयरी उद्योग में दुधारू पशुओं को पाला जाता है, इसके तहत भारत में गाय और भैंस पालन को ज्यादा महत्व दिया जाता है। इस उद्योग में मुनाफे की संभावना को बढ़ाने के लिए पाली गायों और भैंसों की नस्ल, उनकी देख-भाल व रख-रखाव की बारीकियों पर ध्यान देना आवश्यक है।
इसके बाद हर्बल पौधों की बात की गई, जिसके तहत हमनें तुलसी, घृतकुमारी की बात की।
घृतकुमारी:- घृतकुमारी को एलोवेरा के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन समय से चिकित्सा जगत में बीमारियों के उपचार के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है।
इसके गुणों से हम सभी भली-भांति परिचित हैं तथा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से इसका उपयोग भी करते है। हर्बल उद्योग में घृतकुमारी की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
तुलसी:- भारतीय रीति रिवाजो के अनुसार तुलसी एक पूजनीय पौधा है। हिन्दू धर्म के प्रत्येक लोग अपने घर में तुलसी का पौधा लगाते है और पूजन करते है। इसका विशेष गुण यह भी है कि यह पौधा रात में भी ऑक्सीज़न ही उत्सर्जित करता है।
तुलसी एक हर्बल पौधा भी है, जिसकी पत्ति, तना, जड़ सभी भाग बहुत उपयोगी होते है। आजकल लोग इसे व्यापारिक तौर पर भी उगाकर और बेचकर लाखो कि कमाई कर रहे है।
तो ये हैं हमारे इस सप्ताह प्रेषित किये गए आर्टिकल के कुछ अंश। आपके सुझावों का भी हम स्वागत करते हैं तथा आपके कार्यों से ही हम सीखते भी हैं तो कृपया आप लोग अपना आशीर्वाद बनाये रखें।
अनुराग ठाकुर!
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