कांच के बर्तन का उद्योग, व्यापार की शुरुआत एवं उचित योजना।

हर सामान्य घर में कांच के सामान के इस्तेमाल एक विलासिता हो गया है। कोई भी खास मौके पे कांच के बर्तन में खाना खाया और कांच के सजावटी सामान से घर सजाया जाता है।

परिचय:- हर सामान्य घर में कांच के सामान का इस्तेमाल एक विलासिता हो गयी है। कोई भी खास मौके पे कांच के बर्तन में खाना खाया और कांच के सजावटी सामान से घर सजाया जाता है।

कांच के बर्तन देखने में बहुत आकर्षित होते हैं जिस वजह से उनका बाजार में मांग बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में कांच के बर्तन एवं अन्य सामान बनाने का उद्योग बहुत मुनफा दे सकता है।

कांच के बर्तन देखने में बहुत आकर्षित होते है जिस वजह से उनका बाजार में मांग बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में कांच के बर्तन एवं अन्य सामान बनाने का उद्योग बहुत मुनफा दे सकता है।
कांच के जार

भारत में काँच का सबसे ज्यादा काम दिल्ली के पास फिरोज़ाबाद में होता है। फिरोजाबाद के पीढ़ियों परिवारों ने भट्टियों, वेल्डिंग ग्लास, कटोरे, सजावटी सामान, चूड़ियों आदि बनाने में जीवन बीता दी हैै।

प्रशिक्षण:- यह उद्योग में आग और रसायन का इस्तेमाल होता है और इसमें कोई गलती होने पर बहुत बड़ा नुक्सान हो सकता है इसीलिए यह उद्योग शुरू करने से पहले अच्छे से प्रशिक्षण ले लेने की सलाह दी जाती हैै। इसके साथ ही प्रशिक्षण के बाद भी अपनी सुरक्षा करते हुए यह काम करे।

सामग्री:- कांच के सामान बनाने क लिए सबसे पहले तो कांच चाहिए और उससे पिघलने के लिए आग और पकड़ने के लिए लोहे और आकार देने के मशीनरी की जरुरत होती है। कांच अकार्बनिक पदार्थों से बना होता है और इसे बनाने के लिए सिलिका ( जो कि रेत का अभिन्न अंग है ), सोडियम आक्साइड, चूना, और पुराने कांच के कुछ टुकड़े चाहिए होती है।

मशीनरी:- कांच के अलग अलग सामान बनाने के लिए अलग अलग मशीनरी और उपकरण की जरुरत होती है और इन्हें बनाने का तरीका भी अलग होता है। आप क्या और कैसे बना के उसका व्यापार करना चाहते है उस हिसाब से मशीनरी और उपकरण बाजार से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते है।

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प्रक्रिया:- कांच बनाने के लिए सबसे पहले सिलिका, सोडियम आक्साइड, चूना, और पुराने कांच के कुछ टुकड़े के मिश्रण को आग की भट्टी में लगभग 1200° – 1500° सेल्सीयस तापमान पे पिघला कर, विभिन्न धातु ऑक्साइड का उपयोग कर उसमे अलग अलग रंग मिलाया जाता है और फिर उन्हें पिघला फिघला के या फिर हवा भर के अलग अलग आकार दिया जाता हैै।

जब उन्हें सही आकार मिल जाए उसके बाद इनको ठंडा होने के लिए ठंड बनाने वाले प्रेस में स्थानांतरित किया जाता है।

विभिन्न धातु ऑक्साइड का उपयोग कर उसमे अलग अलग रंग मिलाया जाता है और फिर उन्हें पिघला फिघला के या फिर हवा भर के अलग अलग आकार दिया जाता हैै। जब उन्हें सही आकार मिल जाए उसके बाद इनको ठंडा होने के लिए ठंड बनाने वाले प्रेस में स्थानांतरित किया जाता है।
स्क्रीन ग्लास

पैकेजिंग:- कांच के सामान बहुत नाजुक होते है जिस वजह से इनकी पैकिंग भी बहुत ध्यान से करनी होती है। इसकी पैकिंग ज्यादातर गत्ते की बॉक्स में थर्माकोल के इस्तेमाल के साथ की जाती है।

लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन:- कंपनी के आकार के अनुसार व्यापार को पंजीकृत, एसएसआई यूनिट में पंजीकृत, फैक्ट्री लाईसेंस, विनिर्माण यूनिट के लिए प्रदुषण नियन्त्रण बोर्ड से एनओसी, जीएसटी, बीमा आदि की जरुरत होती है। इसके अलावा जिला अधिकारियों से रसायनों को स्टोर करने की अनुमति, नगर पालिका, महानगर पालिका, ग्राम पंचायत, विकस खंड आदि से अनुमति, दमकल विभाग से लाइसेंस की जरुरत होगी।

कहाँ बेंचे:- बनाये गये सामानों को होलसेल या फिर रिटेल में बाजार में बेचा जा सकता है। आप जिस सामान को बनाते है उसे उसके बाजार में बेच दे जैसे की कांच के बर्तन को बर्तन की बाजार में, सजावटी सामान को सजावट के बाजार में आदि।

जोखिम:- इस उद्योग में कार्यकर्ता अक्सर वयस्क होने से पहले आंखों की रोशनी खो देते हैं। कांच को चमकाने से होने वाली धूल, भट्टियों में बहुत अधिक तापमान आदि बहुत खतरनाक होता है। कांच के टुकड़े, वेल्डिंग और टांका लगाने वाले टुकड़े सभी स्वास्थ्य संबंधी खतरे हैं।

यहां तक ​​कि गिलास को चमकाने से धूल आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है और वयस्क भी अंधे हो जाते हैं। इस प्रकार, परिवेश, प्रचलित स्थितियां और नौकरी के प्रकार शामिल हैं-सभी श्रमिकों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरे साबित होते हैं। इस उद्योग को शुरू करने से पहले यह निश्चित कर ले की आप सारे स्वस्थ्य सम्बंधित समस्या का समाधान पहले से सोच लें।

फसलबाज़ार

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