कच्चे आमों के उत्पाद तथा उनका व्यापार में महत्व।

आम भारत का एक महत्ववपूर्ण फल है। इसके बाग दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक है। पश्चिम में पंजाब से पूर्व में आसाम तक, अधिकता से होता है। अनुकूल जलवायु मिलने पर इसका वृक्ष 50-60 फुट की ऊँचाई तक पहुँच जाता है। इसके पेड़ से ले कर फल तक इस्तेमाल करने योग्य होता है।

उद्यान में लगाए जानेवाले आम की लगभग 1,400 जातियों से हम परिचित हैं। इनके अतिरिक्त कितनी ही जंगली और बीजू किस्में भी हैं। भारत में उगायी जाने वाली आम की पारंपरिक किस्मों में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, फज़ली, बम्बई ग्रीन, बम्बई, अलफ़ॉन्ज़ो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू हैं।

जबकी  नई किस्मों में मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल तथा दशहरी-५१ प्रमुख प्रजातियाँ हैं। उत्तर भारत में मुख्यत: गौरजीत, बाम्बेग्रीन, दशहरी, लंगड़ा, चौसा एवं लखनऊ सफेदा प्रजातियाँ उगायी जाती हैं।

आम के पके हुए फलों के साथ कच्चे फलों का भी बहुत महत्व है तथा अनेक रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इसका स्वाद खट्टा होता है।जैसे अँचार ,आमचूर पाउडर, इसकी स्वादिष्ट चटनी भी बनाई जाती है।

अँचार

चटनी:- यह कच्चे आमों के साथ पुदीना, तथा धनियां के पत्ते के साथ बनाई जाती है।

आमचूर पाउडर:- यह आम के खट्टे स्वभाव के कारण उसे एकत्र करने की एक विधि है। कच्चे आमों को सुखाकर उसके पाउडर बना कर एकत्र किया जाता है। जब आम का मौसम न हो, तब भी खाने की चीजों को खट्टा स्वाद देने के लिए इसका प्रयोग बड़े पैमानें पर  किया जाता है।

आम का अँचार बनाने की विधि

अँचार:- वैसे तो अँचार आम ,आमला, नींबू, मिर्ची आदी के अँचार बनाये जाते हैं। परन्तु आम के अँचार का सबसे अधिक महत्व तथा बाजारों में सबसे अधिक माँग है। यह भोजन के जायके में चार चाँद लगा देता है।

आम का अँचार

लेकिन बाज़ार में उपलब्ध अँचार व्यावसायिक रूप से अँचार के मिक्स मशाले तथा वेनिगर के प्रयोग से बनाई जाती है। उत्तर भारत में आम के अँचार के निर्माण की विधि अलग है। इसी कारण उत्तर भारत के अँचारों को पूरे भारत मे पसंद किया जाता है। इसके निर्माण में लगने वाले समय तथा मेहनत के कारण इसका व्यापार कम है। मुख्य तौर पर यहाँ लोग अपनी जरूरतों के हिसाब से हीं अँचार बनाते हैं। यहाँ अनेक प्रकार के आम के अँचार बनाये जाते हैं। जिसमें प्रमुख हैं भरवाँ, कुच्चा, पनियाँ इत्यादी। 

मुख्य सामग्री:- इसमें उपयोग होने वाले मुख्य सामग्री है। काली सरसो, लाल मिर्च, पाँच फोरन(  मेथी, धनियां, जीरा , अजवाइन और शॉप), नमक और तेल है।

विधि:- इसे तीन चरणों में बनाया जाता है तथा धूप में इतनी अच्छी तरह से सुखाया जाता है। ताकी जल की एक बूंद तक भी न रहे जिससे अँचार को सालों सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। पहले आमों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। फिर उसमें हल्दी और नमक मिला कर धूप में सुखाया जाता है।

जिससे उसमें उपलब्ध जल वाष्पीकरण द्वारा समाप्त हो जाये । तथा नमक धीरे- धीरे आम के टुकड़ों में चला जाए। दूसरे चरण में काली सरसों तथा मिर्च के मशाले को उसमें भरा जाता है । तथा कुछ दिनों बाद उसके ऊपर पाँच फोरन डाला जाता है, तब जा कर अँचार तैयार हो जाता है। आने वाले समय में इसका बाज़ार बहुत अधिक तेज़ी से फैलने वाला है। यदी इसकी एक सोसाइटी और बेहतर बाज़ार हो।

फसल बाज़ार

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