भारतीय फलों का राजा आम तथा,बाजारों का प्रभाव।

आम भारत के फलों का राजा है। यह, दीर्घजीवी, सघन तथा विशाल वृक्ष होता है। जो भारत के दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक । पश्चिम में पंजाब से पूर्व में आसाम तक, अधिकता से होता है। अनुकूल जलवायु मिलने पर इसका वृक्ष 50-60 फुट की ऊँचाई तक पहुँच जाता है। यह ग्रीष्म ऋतु का फल है, मार्च के महीने में आमों के ऊपर मंज़र आने लगते हैं। मई के महीनों में इसके अंदर गुठलियों का विकाश होता है। तथा मई -जून से यह पकने लगता है।

आम भारत के फलों का राजा है। यह, दीर्घजीवी, सघन तथा विशाल वृक्ष होता है। जो भारत के दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक । पश्चिम में पंजाब से पूर्व में आसाम तक, अधिकता से होता है। अनुकूल जलवायु मिलने पर इसका वृक्ष 50-60 फुट की ऊँचाई तक पहुँच जाता है। यह ग्रीष्म ऋतु का फल है
आम

इसके पकते हीं ऐसा लगता है। जैसे पूरे बाजार पे आम का एकक्षत्र राज आ गया हो। बाज़ारों में आपको आम से अधिक कुछ देखने को नहीं मिलता। उत्तर भारत में लोग भोजन के साथ भी इसे खाना पसंद करते हैं।  मैंगो शेक भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। उद्यान में लगाए जानेवाले आम की लगभग 1,400 जातियों से हम परिचित हैं। इनके अतिरिक्त कितनी ही जंगली और बीजू किस्में भी हैं। 

भारत में उगायी जाने वाली आम की किस्में।

भारत में उगायी जाने वाली आम की पारंपरिक किस्मों में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, फज़ली, बम्बई ग्रीन, बम्बई, अलफ़ॉन्ज़ो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू हैं।

उत्तर भारत में लोग भोजन के साथ भी आम खाना पसंद करते हैं।  मैंगो शेक भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। उद्यान में लगाए जानेवाले आम की लगभग 1,400 जातियों से हम परिचित हैं। इनके अतिरिक्त कितनी ही जंगली और बीजू किस्में भी हैं।
दशहरी

जबकी  नई किस्मों में मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल तथा दशहरी-५१ प्रमुख प्रजातियाँ हैं। उत्तर भारत में मुख्यत: गौरजीत, बाम्बेग्रीन, दशहरी, लंगड़ा, चौसा एवं लखनऊ सफेदा प्रजातियाँ उगायी जाती हैं।कच्चे आमों से भी अनेक प्रकार के उत्पाद, अँचार, अमचूर, आमिल आदी बनाया जाता है। कच्चे आमों की माँग भी बाजारों में खूब होती है। बाजार में कच्चे आम के उत्पादों की भी अच्छी खासी मांग है।

परंतु आज के परिदृश्य में आम का बाजारों तक पहुँच पाना ज्यादा ही कठिन लग रहा है। जिस प्रकार बाजारों में भी ग्राहक कम पहुँच रहे हैं। बाजार भी कम खुलता है । व्यापारी और खरीददार भी कम आते हैं। परंतु आम का फल पेड़ो पर अपने समय से ही आएगा और पकेगा भी। इस परिस्थिति में किसानों को ऑनलाइन बाजार पर अपनी निर्भरता दिखानी पड़ेगी। अन्यथा ये आर्थिक नुकसान का बोझ बड़ा संकट बन कर सामने आएगा। 

फसल बाज़ार

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