परिचय:- यह एक सघन शाखायुक्त तथा बहुवर्षीय वृक्ष है। पेड़ पे होने वाले फलों में कटहल का फल विश्व में सबसे बड़ा होता है। यह 55 किलोग्राम तक का होता है। इसकी लंबाई 80 सेमी तथा ब्यास 50 सेमी तक होता है। इसकी उत्पत्ती दक्षिणभारत पश्चिमी घाट तथा मलेशिया के वर्षावन से हुई है।

कटहल के एक वृक्ष से औसतन 200 फल प्राप्त किए जाते हैं। यदी वृक्ष पुराना हो तो उससे 500 फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
इस्तेमाल:- यह कच्चे तथा पक्के दोनो रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कच्चे फल का स्वाद हल्का होता है। कटहल का बनावट मीट की तरह होता है। इसे शाकाहारों के मीट के विकल्प के रूप में भी देखा जाता है। इसका पका हुआ फल मीठा लगता है जिसे कोआ कहते हैं। इसके बीज में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके पके फल के बीज की भी सब्जी तथा चटनी बनाई जाती है।
इस फल का का प्रयोग मुख्य रूप से उत्तरी क्षेत्रों तथा उत्तर एशिया में किया जाता है। यहाँ कच्चे तथा पक्के दोनों फलों की बाज़ार में मांग है। कटहल बांग्लादेश तथा श्रीलंका का राष्ट्रीय फल है। यह केरला और तमिलनाडु का राजकीय फल भी है।

कटहल में पाए जाने वाले गुण।
पोषण (न्यूट्रिशन):- पोषण की दृष्टि से भी कटहल एक अच्छा भोजन है। इसमें 64% जल, 23% कार्बोहाइड्रेट, 2%प्रोटीन तथा 1% फैट पाया जाता है। 100 कटहल के फल से 95 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होता है। इसमें विभिन्न प्रकार के विटामिन भी पाए जाते हैं। यह विकासशील देशों के भोजन के समस्या का समाधान हो सकता है।
व्यापारिक दृश्टिकोण:- व्यापार के दृष्टिकोण से भी यह एक उत्तम फल है इसकी बाज़ारों फल तथा सब्जी के रूप में अच्छी मांग है। तथा औषधीय गुणों के कारण इसकी माँग औषधी कंपनियों में भी है। तथा विश्व भर के बाज़ारों में में यह डिब्बा बंद, या जमें हुए ठंढे भोज्य पदार्थ के रूप में मिलता है। इससे बनें चिप्स और नूडल्स भी विश्व भर में लोकप्रिय हैं। चूंकि यह बहु वर्षीय वृक्ष है। एक बार इसके पौधे को लगा देने, तथा इसे एक वृक्ष का रूप धारण कर लेने के पश्चात वर्षों तक इससे पैसा कमाया जा सकता है। तथा कटहल के बाग में अन्य चीजों की खेती भी की जा सकती है।