काले गेहूँ, आज भी किसान अपनी परंपरागत खेती करने में ही विश्वास करते है। जबकी परंपरागत खेती से हटकर खेती करके कई किसान अपनी ज़िंदगी को सवार चुके हैं।
इसके साथ ही वह एक उदाहरण भी बन चुके हैं। ऐसे ही मध्य प्रदेश के एक किसान “विनोद चौहान” ने परंपरागत खेती से हटकर खेती की उन्होंने परंपरागत गेहूँ की जगह काले गेहूँ की खेती की और फिर इससे उस किसान की किस्मत ही बदल गई।
परिचय:- विनोद चौहान मध्यप्रदेश के धार में सिरसौदा के निवाशी हैं। पूर्व में तो ये भी परंपरागत खेती को आधार बनाये बैठे थे। लेकिन बहुत हिम्मत करके, और दृढ़ इक्षा के साथ इन्होंने नए प्रयोग किए तथा वांछित सफलता मिली।
विनोद चौहान ने 20 बीघे जमीन में काले गेहूँ की फसल लगाई जो अब उनकी पहचान बन गई है। अब इस दुर्लभ गेहूँ को खरीदने के लिए विनोद जी के पास 12 राज्यों से डिमांड आ रही है।
इस नई खेती से ये अति उत्साहित हैं। क्योंकि उन्हें नया करने की प्रेरणा भी मिल रही है।
औषधीय गुण:- कला गेहूँ, गेहूँ की ही एक प्रजाति है। आम तौर पर भारत में इसकी खेती नहीं की जाती। लेकिन बदलते भौगोलिक परिदृश्य में तथा इसके गुणों को देखते हुए इसकी डिमांड बहुत तेजी से बढ़ी है।
काले गेहूँ में अन्य गेहूँ की तुलना में रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन तथा समतुल्य मात्रा में अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं।
पैदावार:- विनोद चौहान के मुताबिक 20 बीघे ज़मीन में बीज के रूप में उन्होंने 5 क्विंटल गेहूँ लगाया था। जिसमें पैदावार लगभग 200 क्विंटल हुई है। जो सामान्य से 4 गुणा अधिक है।
लागत:- विनोद चौहान ने बताया की 20 बीघे जमीन में इस गेहूँ में लगने वाला खर्च सामान्य गेहूँ से 25000 अधिक था। मतलब इसे बोने में 25000 का रिस्क था। लेकिन जब फसल तैयार हुई तो मुनाफ़ा 4 गुना अधिक हुआ।
क़ीमत:- जहाँ साधारण गेहूँ की क़ीमत ₹2000 प्रति क्विंटल है। वहीं काले गेहूँ को ₹7000 से ₹ 8000 प्रति क्विंटल आसानी से बेचा जा सकता है।