परिचय:- केसर एक आयुर्वेदिक हर्बल और मुनाफे वाली खेती है, जिसे की हम कुछ जानकारियों के बाद अपने घर पर अपने गार्डन और गमले में भी लगा सकते है। बस जरुरत है तो इसकी सही जानकारी की, तो चलिए मित्रो आज बात करते है केसर क्या है और कैसे की जाती है इसकी खेती।
केसर जिसे की कश्मीर और पाकिस्तान में जाफरान और इसे ही अंग्रेजी में सेफ्रॉन कहते हैं। केसर जो की स्पेन, इटली, ईरान, पाकिस्तान, चीन तथा भारत का जम्मू-कश्मीर ही इसका सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है, जहाँ पर इसकी खेती की जाती है।
फायदे:- यह हमारे भोजन के स्वाद, सुगन्ध और रंगत बदलने के साथ-साथ हमारे स्वास्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह हमारे पाचन तंत्र, आँख, सिर और स्किन की देखभाल के साथ हमारी शाररिक शक्ति को बढाने एवं अच्छी नीद के लिए उत्तम है।
इसका उपयोग दवाईयों को बनाने में किया जाता है। इसका का उपयोग खाद्य के रूप में खीर, मिठाईयां, बिरयानी बनाने तथा दूध के साथ पीने में किया जाता है।
केसर की पहचान:- एक सफ़ेद पेपर पर हम केसर के एक टुकड़े को लेकर उस पर 2-3 बूंद ठंडा पानी डालते हैं। इसमें से हल्का सा पिला रंग निकलता है और पानी पिला हो जाता है, तथा यह अपने मूल लाल रंग में ही रहता है।
जलवायु:- यह शीतोष्ण तथा सुखी जलवायु का पौधा है। भारत में जम्मू-कश्मीर की जलवायु इसके लिए सर्वोत्तम है।
मिट्टी:- वैसे तो इसकी खेती अनेक प्रकार की मिट्टी में की जाती है। लेकिन इसकी खेती केलिए दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं।
समय:- इसकी बुआई अगस्त महीनें में की जाती है।
बीज:- इसकी पौधे की खेती कंद से की जाती है। इसके कंद को बल्ब भी कहा जाता है। इसके अलावा इसकी खेती बीज के माध्यम से भी की जाती है। इसका बीज नींबू के आकार का होता है।
बुआई तथा कटाई:- इसकी बुआई जुलाई के मध्य में की जाती है। केसर हमें फुल के रूप में मिलता है, फुल को तोड़ने के बाद इन्हें 4-5 घंटे छायादार स्थान पर सुखाया जाता है।
एक फुल से 3 केसर होते है। इसके फूल लाल रंग के होते हैं, जिसके अंदर 2 नारंगी रंग के भाग होते है जिन्हें की छाट कर अलग किया जाता है।
पैदावार:- तीन महीने में पक कर तैयार होने वाली केसर की ये फसल के हर फूल में मिलने वाले केसर के 1 किलो होने के लिए हमे ऐसे 150,000 फूलो की आव्यशकता होती है। इसकी कीमत बाजार में 2.5 से 3 लाख प्रति किग्रा है।
आज के समय में इसकी खेती राजस्थान और महाराष्ट्र में सफलता पूर्वक की जा रही है। जिसे केसर की खेती में एक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है।