मोमबत्ती उद्योग, मशीनरी एवं व्यापारिक लाभ।

आज के दौर में मोमबत्ती का इस्तेमाल सिर्फ दिवाली के त्योहार तक ही सीमित नहीं है, अपितु हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। हमने अक्सर देखा है की मोमबत्ती का इस्तेमाल खास मौकों पर सजावट के लिए करते हैं।

परिचय:- आज के दौर में मोमबत्ती का इस्तेमाल सिर्फ दिवाली के त्योहार तक ही सीमित नहीं है, अपितु हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। हमने अक्सर देखा है की मोमबत्ती का इस्तेमाल खास मौकों पर सजावट के लिए करते हैं।

कुछ जगहों पर यह एक जरुरत बन गयी है, कुछ गांवों में अभी तक बिजली का कनेक्शन भी नहीं आया है तो कुछ गांवों में अभी भी बिजली की समस्या रहती है। एक तरफ मोमबती जीवन के अँधेरे में रौशनी का प्रतिक है तो दूसरी तरफ विरोध का। कभी मोमबती किसी की दुआ का प्रतिक बन जाती है तो कभी किसी के लिए न्याय का प्रतीक।

कुछ जगहों पर यह एक जरुरत बन गयी है। कुछ गांवों में अभी तक बिजली का कनेक्शन भी नहीं आया है तो कुछ गांवों में अभी भी बिजली की समस्या रहती है। एक तरफ मोमबती जीवन के अँधेरे में रौशनी का प्रतिक है तो दूसरी तरफ विरोध का।
मोमबत्ती

जो भी कारण हो, मोमबत्ती हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका बन गया है और अब इसकी मांग कभी कम नही हो सकती। ऐसे में मोमबत्ती का व्यावसाय एक अवसर है जिसमें कम लागत से भी अच्छा मुनाफा हो सकता है। भारत में बढती मोम की मांग को देखते हुए आप भी इसका व्यापार कर के उपभोक्ताओं की मांगों को पूरा कर सकते हैं।

सरकारी सहायता:- केंद्र और राज्य सरकार लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नए-नए प्रोत्साहन और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती रहता है। जिन उद्योगों में महिलाओं, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति वर्ग के लोग जुरे हो उन उद्योगों को को ऋण में 30 प्रतिशत तक छूट भी मिलती है।

व्यवसाय के लिए लाइसेंस और परमिट:- किसी भी व्यवसाय शुरू करने के लिए लाइसेंस की जरुरत होती है। ध्यान से आपको सारे लाइसेंस और परमिशन ले लेना चाहिए जैसे की जीएसटी पंजीकरण, कंपनी पंजीकरण, ईएसआई पंजीकरण, व्यापार लाइसेंस, बीमा, प्रदूषण प्रमाण पत्र।

बजट:- मोमबत्ती बनाने का व्यापार शुरू करने से पहले यह जरूर सोच ले की आपको व्यापार छोटे पैमाने पर करना है, या फिर बड़े पैमाने पर और उसी के अनुशार अपना बजट भी बनाये।

कच्चा माल:- मोमबत्ती बनाने के लिए मुख्य रूप से पैराफिन मोम/सोय मोम/मधुमोम (आप अपनी पसंद के किसी भी मोम का इस्तेमाल कर सकते है ज्यादातर पैराफिन मोम का इस्तेमाल किया जाता है), बर्तन (मोम पिघलाने के लिए), कैस्टर तेल, मोमबत्ती के धागे, तेल-आधारित रंग, थर्मामीटर, सुंगंध के लिए इत्र, बर्तन या सांचे (मोमबत्ती को आकार देने के लिए), ओवन की जरुरत पड़ती है।

कच्चे माल की खरीददारी अपने व्यापार के पैमाने के हिसाब से करे। यह सामग्री आपको बाजार में भी मिल सकता है या फिर आप ऑनलाइन भी खरीद सकते है। कच्चा माल होलसेल से खरीदने से लागत कम पड़ेगा। बहुत सी कम्पनियाँ मोमबत्ती की कच्चे माल को उपलब्ध कराती है, जो अलग-अलग जगहों पर स्थित है। आप उनके बारे में गूगल पे देख के उनसे सीधे संपर्क कर सकते हैं।

मोमबत्ती बनाने की प्रकिरिया एवं लागत

कुल लागत:- अगर आप छोटे स्तर पर व्यापार शुरू करना चाहते है तो आपको कुल 10,000 तक की लागत लग सकती है। लागत और मुनाफा आपके व्यापर के स्तर पर निर्भर करता है। अगर आप मशीन के इस्तेमाल से मोमबत्ती बनाते है तो मशीन की लागत 13000-14000 से शुरू होती है।

आपको बस इस बात का ख़ास ध्यान रखना है की आपके पास मोम को पिघलाने के लिए, कच्चा माल रखने के लिए, और तैयार मोमबत्ती को रखने के लिए पर्यापत जगह है। जिससे आप बिना किसी परेशानी से अपना व्यापार कर सकें।
मोमबत्ती बनाने की मशीन

स्थान की आवश्यकता:- मोमबत्ती को बनाने के व्यवसाय में ज्यादा जगह की जरुरत नही पड़ती है। अगर आप इससे छोटे स्तर से शुरू कर रहे है तो आप अपने घर में 12×12 की छोटे सी कमरे से भी इसे शुरू कर सकते है या फिर आप कमरा किराये पे भी ले सकते है।

आपको बस इस बात का ख़ास ध्यान रखना है की आपके पास मोम को पिघलाने के लिए, कच्चा माल रखने के लिए, और तैयार मोमबत्ती को रखने के लिए पर्यापत जगह है। जिससे आप बिना किसी परेशानी से अपना व्यापार कर सकें।

मोमबत्ती बनाने की प्रकिरिया

1. एक बर्तन में पानी उबालने के लिए रख दें।

2. मोम को छोटे छोटे टुकड़ों में काट के एक बर्तन में दाल ले और उससे पिघलाने के लिए आराम से उबलते हुए पानी में रख दे।

3. घरेलू थर्मामीटर से मोम के तापमान पर नज़र रखे, पैराफीन मोम के लिए 122-140 डिग्री फ़ैरनहाइट (50-60 डिग्री सेंटीग्रेड), सोय मोम के लिए170-180 डिग्री फ़ैरनहाइट(76.6 से 82.2 डिग्री सेंटीग्रेड), मधूमोम मोम के लिए 145-175डिग्री फ़ैरनहाइट (62.7-79.4 डिग्री सेंटीग्रेड), पुरानी मोम के लिए 185 डिग्री फ़ैरनहाइट (85 डिग्री सेंटीग्रेड) तापमान पर पिघलाना चाहिए।

4. इसमें इत्र और रंग मिला दीजिये। कितना रंग डालना है, यह निर्णय शीशी पर दिये गए निर्देशों को पढ़ कर करिए रंग और इत्रको तब तक बून्द बून्द में मिलाना है।

5. साँचे में तेल लगा दे ताकि मोम उसमे चिपके नहीं और मोमबती आराम से बहार आ जाये। अगर आप साँचे में ही मोमबती जलाना चाहते है तो साँचे में तेल नहीं भी लगाए तो कोई बात नहीं।

6. साँचे में मोमबत्ती के धागे डालकर साँचे तैयार कर लीजिये ध्यान रहे कि धागा साँचे के बिच में हो और लगभग 2 इंच मोमबत्ती से बाहर हो। मोम के बाहर के धागे को किसी एक लंबी क्लिप, लकड़ी या पेंसिल के मध्य में लगाएं। कलम को उस साँचे के ऊपर टिकाइए जिसमें आप मोम डालने वाले हैं। ध्यान रहे कि धागा सीधी, साँचे के केंद्र में ही लटकती रहे।

7. पिघले हुये मोम को धीरे धीरे साँचे में डालिए जिससे वो छलके नहीं। यह भी ध्यान रखे कि साँचे को कितना भरना है।

8. मोम को ठंडा होने दीजिये। मोम जितना देर ठंडा होगा उतना ही अच्छा है। पैराफिन मोमबत्तियों को 24 घंटे, सोय मोमबत्तियों को 4-5 घंटे, मधुमोम मोमबत्तियों को 6-10घंटे, पुरानी मोमबत्तियों को 4-5 घंटे ठंडा करना सबसे अच्छा है।

9. साँचे में से मोम निकल लीजिये और अगर मोमबत्ती का धागा अधिक लम्बा है तो उसे अपने अनुसार काट के हटा दीजिये।

चेतावनी:- मोम को पिघलाते समय आग लगने का खतरा है। मोम को पिघलाते समय तापमान का ख़ास ध्यान रखें। पिघलते हुये मोम को अरक्षित मत छोड़िए। सावधान रहे, सुरक्षित रहे।

पैकेजिंग:- आप मोमबत्ती की पैकिंग उसके आकार और रंगों के अनुसार सजावटी पेपर, रंगीन पलास्टिक या डब्बो कंटेनरों में पैक कर सकते है। इसके बाद आप मोमबत्ती को बाजार में बेच सकते हैं।

फसलबाज़ार

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