वन करेला की खेती, किस्में एवं औषधीय गुण।

जंगली करेला या वन करेला (चट्ठईल) की खेती हमारे देश के अनेक राज्यों में की जाती है। यह करेला की जंगली प्रजाति है, इसलिय इसे मीठा करेला भी कहते हैं।

परिचय:- जंगली करेला या वन करेला (चठईल) की खेती हमारे देश के अनेक राज्यों में की जाती है। यह करेला की जंगली प्रजाति है, इसलिय इसे मीठा करेला भी कहते हैं।

इसे कई और नाम से अलग-अलग स्थानो में जाना जाता है। जैसे- मीठा करेला, कँटीला परवल, करोल, भाट करेला, कोरोला, करटोली, ककोड़ा आदी।

वनस्पति विज्ञान में इस फल का वैज्ञानिक नाम मोमोरेख डाईगोवा है। मानसून में मिलने वाली वन करेला या कंटोला, एक तरह की सब्जी है। यह आकार में बहुत छोटी होती है तथा इसके बाहरी आवरण के ऊपर कांटेदार रेशे होते हैं।
वन करेला

महत्व:- वनस्पति विज्ञान में इस फल का वैज्ञानिक नाम मोमोरेख डाईगोवा है। मानसून में मिलने वाली वन करेला या कंटोला, एक तरह की सब्जी है। यह आकार में बहुत छोटी होती है तथा इसके बाहरी आवरण के ऊपर कांटेदार रेशे होते हैं।

जंगली करेला की खेती:- जंगलों और खेतों की बाउंडरी में पाया जाने वाला सब्जी के रूप अपने आप उगने वाली यह सब्जी बरसात के मौसम में बाज़ारों में ख़ूब दिखते हैं।

यह सब्ज़ी अन्य सब्ज़ियों की तुलना में काफ़ी महँगी होती है। वर्षा होने के बाद इसकी बेल अपने आप जंगलों और खेतों में किनारे उगने लगती है।

बारिश का सीजन खत्म होते ही पके हुए ककोड़े के बीज ज़मीन पर गिर जाते हैं। फिर पहली बारिश के साथ ही ककोड़े की बेल जंगल में उग आती है।

इसके बीज नहीं मिलने के कारण इसकी खेती की नहीं जा सकती अभी तक एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में भी इसके बीज आसानी से नही मिलते हैं। वन करेला की बेल दो प्रकार के होते हैं। नर पेड़ और मादा पेड़।

औषधीय फायदे:- वन करेला के नर व मादा पौधे दोनो को मिलाकर सेवन करने से जहरीले सांप का विष भी आपके शरीर में से उतर जाता है।

इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा के अलावे मोमोरेडीसिन तत्व पाया जाता है। इसमें उत्तम एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटीज के गुण होते हैं। स्वाद में थोड़ा कड़वा होते हुए यह सेहत के लिए फायदेमंद हैं।

हाई ब्लडप्रेशर की बीमारी के लिए ककोड़ा बहुत कारगर दवा है। यह वजन कम करने के साथ हाई ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है।

इसके कंद का इस्तेमाल मस्सों का खून रोकने और पेशाब की बीमारियों में दवा के रूप में किया जाता है। इसके फल को मधुमेह में असरदार पाया गया है।

इसके फल करेले की तरह कड़वे नहीं होते। फल के बीज के तेल का उपयोग रंग व वार्निश उद्योग में किया जाता है।

कृपया इस पोस्ट को भी पढ़ें।

वन करेला की क़िस्में तथा बीजों की बुआई

जलवायु व तापमान:- वन करेला के पौधे गर्म आर्द्र जलवायु में अच्छा पनपते हैं। इसे उन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, जहाँ तापमान 25-40 डिग्री सेल्सियस के मध्य हो, तथा वार्षिक वर्षा 180-200 सेमी तक हो।

वन करेले का प्रवर्धन कंद या बीज द्वारा होता है। अच्छी खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करना चाहिए जिसे ट्रेडमार्क वाले प्रतिष्ठान से ख़रीदें। बीजों को बुआई के पहले उपचारित आवश्य कर लें।
वन करेला की खेती

भूमि की जानकारी व भूमि का चयन:- जीवांश से भरपूर दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। इसके अलावा इसे बलुई मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। दोमट मृदा में इसकी बढ़वार अच्छी तरह से होती है। मीठा करेला की खेती के लिए मिट्टी का पी एच स्तर 6-7 अनिवार्य है।

उन्नत किस्में

जंगली वन करेला की दो क़िस्में खेती के रूप में उगायी जाती है, छोटे आकार वाले वन तथा
इंदिरा आकार(आर एम एफ 37)

यह हाइब्रिड किस्म एक नई व्यावसायिक किस्म है। इसे इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है।

प्रवर्धन:- वन करेले का प्रवर्धन कंद या बीज द्वारा होता है। अच्छी खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करना चाहिए जिसे ट्रेडमार्क वाले प्रतिष्ठान से ख़रीदें। बीजों को बुआई के पहले उपचारित आवश्य कर लें।

बीजों की बुआई व अंकुरण:- वन करेला की बुआई में किसी स्पेशल तकनीक की ज़रूरत नही है। बीजों को रात में गर्म पानी में रात भर के लिए भिगो दे। इससे अंकुरण अच्छा होता है।

बीज को 3 से 4 इंच की दूरी पे बोना चाहिए, अव्यश्कता अनुसार समय-समय पर पानी देते रहें। 25 से 40 डिग्री सेल्सियस का इष्टतम तापमान विकास के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। बुआई के 5-6 दिन में नन्हे पौधे दिखने लगेंगे।

पैदावार:- बाज़ार में इसकी क़ीमत 100-150 प्रति किलो है। हाइब्रिड की मांग तथा क़ीमत दोनों अधिक है।

फसलबाज़ार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language»