आर्टिचोक की खेती, फायदे तथा व्यापारिक लाभ।

आर्टिचोक एक दुष्प्राप्य सब्जी है, जो ज्यादातर दक्षिण अमेरिका, दक्षिण और मध्य यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। यह एक एस्ट्रोव परिवार का शाकाहारी, बड़े पुष्पक्रम वाला, बारहमासी पौधा है।

परिचय:- आर्टिचोक एक दुष्प्राप्य सब्जी है, जो ज्यादातर दक्षिण अमेरिका, दक्षिण और मध्य यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। यह एक एस्ट्रोव परिवार का शाकाहारी, बड़े पुष्पक्रम वाला, बारहमासी पौधा है।

आर्टिचोक अपने परिपक्व रूप में, इसका फूल एक थीस्ल जैसा दिखता है जो खिलकर बैंगनी या नीले रंग का हो जाता है। आर्टिचोक के पौधे की लम्बाई 2 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचता है इसीलिए इसे उगाने के लिए ज्यादा जगह की जरुरत होती है। इसके पौधे में खाने वाले भाग कम होता है।
आर्टिचोक

अपने परिपक्व रूप में, इसका फूल एक थीस्ल जैसा दिखता है जो खिलकर बैंगनी या नीले रंग का हो जाता है। आर्टिचोक के पौधे की लम्बाई 2 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचता है, इसीलिए इसे उगाने के लिए ज्यादा जगह की जरुरत होती है। इसके पौधे में खाने वाले भाग कम होते हैं।

फायदे:- इसका सेवन सेहत के लिए गुणकारी माना जाता है क्यूंकि इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, बी, पी, फाइबर, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया, इथेनॉल और एंटीहाइपरग्लिसेमिक आदि पाये जाते हैं।

इसे खाने से पाचन, कैंसर, ह्रदय रोग, मधुमेह, वजन कम करने में, लिवर से टॉक्सिन बाहर निकालने में, सूजन आदि में मदद करता है। इसका इस्तेमाल दवाईयां बनाने के लिए भी किया जाता है। इसके दवाइयों से यूरोलिथियासिस, पित्ताशय की पथरी, एलर्जी जैसे रोगों का इलाज किया जाता है।

पॉलीफेनोल जो आर्टिचोक का हिस्सा है पित्त उत्पादन में वृद्धि का कारण बनता है। जिन लोगो को कोलेसिस्टिटिस, कम एसिडिटी और कम प्रेशर है उन्हें आटिचोक खाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

कैसे इस्तेमाल करें:- आर्टिचोक में अखरोट की तरह का स्वाद होता है। इसे पकाने के लिए कई चरणों में काटा जाता है। बहुत युवा आटिचोक को कच्चा या आधा पका के और बड़े पुष्पक्रम को उबाल के खाया जाता है। वहीं मध्यम आटिचोक का इस्तेमाल नमकीन बनाने के लिए किया जाता है। पूरी तरह से खुले फल खाने योग्य नही होते।

इसे मुख्य और साइड डिश दोनों तरीके से खाया जाता है। इसका इस्तेमाल सलाद, पिज्जा और कुछ जगहों पे मिठाइयाँ बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

जलवायु एवं मिट्टी:- इसके पौधे को सूरज की बहुत आवश्यकता होती है इसलिए इसकी खेती ऐसे जगहों पे की जाती है जहाँ का तापमान गर्म हो। इसके पौधे को ठंड और कोहरे से बचाना चाहिए।

इसकी खेती नम जलवायु वाले स्थानों में, ढलानों पर या उच्च बेड पर 60-80 इंच की गहराई पर जल निकासी वाले जगहों पे की जाती है। इसे उपयुक्त मात्रा में पानी दे लेकिन जड़ों और खेत को गीला ना रखें।

खेत की तैयारी:- रोपण से पहले, खेत को अच्छी तरह गहरा जुताई कर दे और मिट्टी में जैविक उर्वरक मिला दे। यदि मिट्टी खराब है, तो मौसम के बीच में उर्वरक की आवश्यकता होती है।

यदि आपकी जलवायु परिस्थितियों में कम से कम 90-100 दिनों की गर्म अवधि है तो आप फरवरी के अंत से मार्च की शुरुआत तक बीजों को बो दे। ऐसे में अगस्त - सितंबर के अंत तक पहली फसल प्राप्त कर सकते है।
आर्टिचोक की खेती

रोपाई:- यदि आपकी जलवायु परिस्थितियों में कम से कम 90-100 दिनों की गर्म अवधि है तो आप फरवरी के अंत से मार्च की शुरुआत तक बीजों को बो दे। ऐसे में अगस्त – सितंबर के अंत तक पहली फसल प्राप्त कर सकते है।

अन्यथा वसंत के शुरुआत में एक वयस्क पौधे में से शाखाओं को काट ले ( हर 3 पूर्ण पत्तियों के गठन के बाद ही शाखाओं को काटे ) और प्रत्येक शाखा को एक दूसरे से लगभग 1-1.5 मीटर की दूरी पर रोपे।

सिंचाई:- बड़ी और रसदार फल प्राप्त करने के लिए गर्मियों में इसे सप्ताह में कम से कम 3 बार सिंचाई की जानी चाहिए। सुनिश्चित कर की रोपण के दौरान अच्छी जल निकासी हो। सिंचाई के बाद मिट्टी की नमी बनी रहनी चाहिए।

कटाई:- कटाई फूलों के विभिन्न चरणों में की जाती है। चूँकि अलग अलग चरण के फल का अलग अलग इस्तेमाल है उसे उसके अलग अलग चरण पे तोडना चाहिए। किसान के लिए कटाई के क्षण को पकड़ना महत्वपूर्ण है।

जब फूल के ऊपरी भाग थोड़ा झुकना शुरू कर दे तो उसे तोड़ लेना चाहिए। जब फूल के शीर्ष पर नीली पंखुड़ी दिखाई दे, तो इसका मतलब है कि फल अतिवृद्धि हो चूका है। ऐसे में इसे नहीं खाना चाहिए।

फसलबाज़ार

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