आत्मनिर्भर भारत तथा कुटीर उद्योग।

आपदा को अवसर में बदलने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आवाहन किया। कोविड-19 महामारी संकट को अवसर में बदलने में आत्मनिर्भर भारत अभियान निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा तथा आधुनिक भारत की पहचान बनेगा। 

लेकिन इस आधुनिक भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रत्येक भारतीय को दृढ़ संकल्प लेना होगा। हमें नौकरी लेने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनना होगा। ये संभव हो सकता है सिर्फ और सिर्फ कुटीर उद्योगों के विकास से। और इसमें किसानों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

कुटीर उद्योग में उत्पादनकर्ता अपनी पूँजी लगाता है अपना श्रम करता है तथा उत्पाद का स्वयं अधिकारी होता है। ये उन उद्योगों को कहा जाता है। जिसमें कुशल व्यक्ति वस्तु का उत्पादन अपने घर में ही करता है। भारत में प्राचीन काल से हीं यह प्रथा चली आ रही है।
कुटीर उद्योग

कुटीर उद्योग:- कुटीर उद्योग में उत्पादनकर्ता अपनी पूँजी लगाता है अपना श्रम करता है तथा उत्पाद का स्वयं अधिकारी होता है। ये उन उद्योगों को कहा जाता है। जिसमें कुशल व्यक्ति वस्तु का उत्पादन अपने घर में ही करता है। भारत में प्राचीन काल से हीं यह प्रथा चली आ रही है। अंग्रेजों के आने के बाद लोग कारखानों की नौकरियों की तरफ आकर्षित हुए और कुटीर उद्योगों का तेजी से विनाश हुआ। किन्तु पिछले कुछ दिनों में स्वदेशी की ओर बढ़ते आकर्षण ने पुनः कुटीर उद्योगों को बल प्रदान किया है। अब इसमें छोटे पैमाने पर मशीनों को भी उपयोग में लाया जाने लगा है। जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है।

कुटीर उद्योग का महत्व।

1) कम निवेश की आवश्यकता

2)रोजगार की उपलब्धता

3)राष्ट्र का संतुलित विकास

4)ग्रामीण विकास

5)अकाल अथवा महामारी के समय सुरक्षा

6)कला और कौशल का विकास


कुटीर उद्योगों को दो वर्गों में रखा जाता है:-

● ग्रामीण कुटीर उद्योग
● नगरीय कुटीर उद्योग

ग्रामीण कुटीर उद्योग भी दो प्रकार के होते हैं- कृषि आधारित कुटीर उद्योग एवं अन्य कुटीर उद्योग।


कृषि आधारित कुटीर उद्योगों में कृषि संबंधी उत्पाद ही कच्चे माल की भूमिका में होते हैं। जैसे:- टोकरी बनाना, सूत काटना, मसाला बनाना, चावल तैयार करना, दालें तैयार करना, पापड़ बनाना, बड़ी बनाना, अँचार बनाना आदि।

कृषि आधारित कुटीर उद्योगों में कृषि संबंधी उत्पाद ही कच्चे माल की भूमिका में होते हैं। जैसे:- टोकरी बनाना, सूत काटना, मसाला बनाना, चावल तैयार करना, दालें तैयार करना, पापड़ बनाना, बड़ी बनाना, अँचार बनाना आदि।
सूत काटना


अन्य कुटीर उद्योगों में कृषि संबंधी उत्पाद कच्चे माल की भूमिका में नहीं रहते हैं। परंतु यह एक कुशल कारीगरों के रोज़गार का साधन होता है। जैसे:- चटाई निर्माण, मिट्टी के बर्तन बनाना, लकड़ी के वस्तुओं का निर्माण, आभूषणों का निर्माण, दर्जी का काम आदि।

आज कल कंप्यूटर के ज़माने में ऑनलाइन के माध्यम से घर बैठे अपने उत्पादों को अधिक से अधिक स्थानों तक भेज सकते हैं। जिससे एक कुटीर उद्योग से भी आप अपने आपको एक उद्यमी के तौर पर स्थापित कर सकते हैं। यह आपके तथा आपके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है। आप अपने आने वाले वंसज को विराशत के तौर पर एक उद्योग और व्यापार दे सकते हैं।

फसल बाज़ार

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