परिचय:- धान पुआल अथवा पैड्डीस्ट्रा खुम्बी भी एक प्रचलित खुम्बी प्रकार है। जिसका उपयोग व्यापारिक मशरुम की खेती में किया जाता है। बाकी मशरूमों की तरह इसे भी हवादार कमरे या शेड में आसानी से उगाया जाता है। यह मुख्यरूप से समुद्रि तटों वाले स्थान पे उगाया जाता है, इसका रंग गहरा तथा स्वाद उत्तम होता है।
विधीवत क्यारियों की तैयारी:- धान की पुआल पर खुम्बी उगाने के लिए क्यारियों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए मिट्टी अथवा ईट की क्यारियां बनाई जाती है जो जमीन से थोड़ी 15-20 cm ऊँची तथा 100*60 की हो सकती है। परंतु वर्षा तथा धूप से बचाव के लिए शेड बनाना आवश्यक है।
धान के पुआल अकेले अथवा बराबर की मात्रा में कपास के अवशेष को मिलाकर उसे गट्ठर बांध लें। फिर गट्ठरों को पानी से भरे हौद में 12-14 घंटे भीगने दें। इसके बाद इसे निकाल कर जमीन पर फैला दें ताकी अतिरिक्त पानी निकल जाए।
बुआई:- क्यारियों में उसी के आकार के बांस के बने ढांचों को रखें। उसके ऊपर गीली पुआल के गठ्ठर पास -पास रख दें। ध्यान रहे कि गट्ठरों का बंधा सिरा एक ही तरफ हो।
इसके ऊपर गठ्ठरो को विपरीत रखें। अब उस पर बीज बिखेर दें, उसके ऊपर धान या गेहूं के भूसी छिट(बिखेर) दें। इसी प्रकार 4 परत बनायें तथा अंत में प्लास्टिक से ढक दें।
देखभाल:- 7 से 8 दिनों में खुम्बी पूरी तरह पुआल के अंदर फैल जाता है। इसके लिए 35 डिग्री के आस-पास का तापमान उत्तम माना जाता है। कवक जाल फैलने के बाद प्लास्टिक के पारदर्शी चादर को उतार दिया जाता है।
यदी पुआल सूखा लगे तो जल का छिड़काव किया जाता है। 15-20 दिनों बाद क्यारियों में खुम्बीयाँ दिखने लायक हो जाती है। जब खुम्बी का ऊपरी सिरा दिखने लगता है तब उसे तोड़ लेते हैं।
धान पुआल मशरूम की बुआई, पैदावार एवं भंडारण।
पैदावार तथा भंडारण:- इसकी पैदावार 10-12 दिनों तक सुरक्षित रखी जा सकती है उसके बाद ये खराब होने लगती हैं। प्रति 100 kg गीले पुआल से औसतन 12-13 kg खुम्बी प्राप्त की जाती है।
उपरोक्त नाप के एक क्यारी से लगभग 2.5 kg खुम्बी प्राप्त की जा सकती है। यह खुम्बी बहुत नाज़ुक होती है जिसका भण्डारण फ्रिज में 2-3 दिनों के लिए ही किया जा सकता है।
इसे बंद कमरे में भी उगाई जा सकती है:- कमरे में बांस या लोहे के एंगल की सहायता से रैक बनाएं। 45 से 50 cm की ऊँचाई पे 4 रैक बनाई जा सकती है।
सबसे नीचे वाली रैक जमीन से 25-30 cm की ऊँचाई पर होनी चाहिए। बंद कमरे में इसकी खेती एक खास विधि से तैयार की गई कम्पोस्ट की सहायता से की जाती है
कंपोस्ट बनाना:– धान के पुआल को भिगों कर बिखेर दें, फिर इसका ढ़ेर बना लें। दो दिनों बाद इस ढेरों के बीच 5% के हिसाब से धान की भूसी मिला दें।
इसके बाद कम्पोस्ट का निर्जिविकरण करे। इसके लिए तैयार कम्पोस्ट को 45 डिग्री ताप पर गर्म कमरें में रखा जाता है। कमरा बंद करके इसे 60-65 डिग्री ताप परगर्म किया जाता है।
2-3 घंटे 60 डिग्री के स्थिर ताप पर गर्म करने के बाद ताप कम किया जाता है। तथा धीरे-धीरे 4-5 दिनों में सामान्य ताप पर पहुँच जाता है। उसके बाद तैयार कम्पोस्ट को 6-8 इंच मोटाई की दर से रैको में भरा जाता है।
बुआई:- कम्पोस्ट खाद के वजन के 3-5% वजन के बराबर बीज को फैलाकर उसके ऊपर कम्पोस्ट का एक और लेयर चढ़ा देते हैं।
4-5 दिनों तक कमरे को बंद रखा जाता है तथा नमी के लिए दीवारों और छत को पानी से भिगो कर रखा जाता है। 4-5 दिनों बाद कमरे की खिड़कियों को खोल दी जाती है। अगले 4-5 दिनों में खुम्बीयाँ तोड़ने लायक हो जाती है।
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