परिचय:- यह भारत में पाई जाने वाली मशरूम की प्रजातियों में से एक है। इसकी खेती आसान और सस्ती है। ढिंगरी मशरूम में दूसरे मशरूम की तुलना में अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं।
भारत के विभिन्न शहर जैसे दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई एवं चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी माँग है।
जिसके फलस्वरूप इसके उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है। भारत में ढिंगरी मशरूम के 12 प्रजातियाँ उगाई जाती है। उत्तर भारत में ये सभी प्रजातियाँ उगाई जाती है।
आवश्यक वस्तुएं:- ढिंगरी मशरुम की खेती बीज के जरिए की जाती है। इसे स्पॉन कहते हैं। इसमें ताजे बीज की ज़रूरत होती है अतः स्पॉन 7 दिन पहले हीं लें।
उत्पादन के लिए भूसा, पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन और स्पॉन की जरूरत होती है। प्रति दस किलो भूसे के लिए एक किलो स्पॉन जरूरी होती है।
भूसे को भरने के लिए पॉलीबैग, तथा शोधित करने के लिए कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन, की जरूरत होती है।
बैग की तैयारी:- 20 किलो भूसे को 200 लीटर पानी में अच्छे से भिगोना चाहिए। फिर इसे 300 ml फार्मलिन, 14 ग्राम कॉर्बेंडाजिन को पानी में घोलकर इसमें 20 किलो भूसा डुबोकर उसका शोधन करना चाहिए।
भूसा को लगभग बारह घंटे तक भीगने दें तथा उसके बाद यानि अगले सुबह फैला देना चाहिए। जिससे नमी 50% तक रह जाए, फिर इसे पॉलीबैग में भरा जाता है। एक बैग में तीन लेयर भूसा भरा जाता है।
स्पॉन लगाने की विधि:- बैग में एक लेयर भूसे को भरने के बाद किनारे पे स्पॉन लगाए उसके ऊपर फिर एक लेयर भूसा भरें। इसी तरह तीन लेयर भूसा भरें।
फसल की तैयारी:- बीज या स्पॉन लगाने के 15 दिनों बाद आपको बैग के चारो तरफ सफेद खुटियाँ निकलती दिखाई देने लगती है। ये मशरूम बैग के चारो ओर के छिद्र से बाहर निकलने लगता है।
इसके लिए तापमान और आद्रता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए 20 से 28 डिग्री तापमान के साथ 80-85% की आद्रता आवश्यक है।
ये मशरूम 40-45 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी 3 बार कटाई की जाती है। 3 बार की कटाई में लगभग 95% तक की फसल प्राप्त की जा सकती है। ढिंगरी मशरूम की खासियत यह है की इसे किसान सुखाकर भी बेच सकते हैं।
इसका स्वाद भी तीनों मशरूम में सबसे बेहतर होता है। अच्छी पैदावार के लिए आप बीज अच्छी जगह से ताजी तथा उत्तम क्वालिटी की बीज लें। आपको उचित ट्रेनिंग की भी आवश्यकता है अतः ट्रेनिंग भी किसी अच्छे जगह से जरूर लें।
Awesome