जहाँ एक ओर किसान ग़लत विधि से खेती करने के कारण खेती में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान हैं। वहीं कुछ लोग किसानी को अपना पेशा बना रहे हैं।
वह आंनद से खेती करते हैं लगातार नए-नए तरीकों का प्रयोग करते हैं। तथा खेती से भरपूर फ़ायदा कमाने के साथ-साथ रोज़गार का भी सृजन करते हैं। इसी क्रम में आज हम बात करेंगे उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी के किसान ‘अचल मिश्रा’।
परिचय:- अचल मिश्रा उत्तरप्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी जिले पलिया इलाके के छोटे से गाँव जगदेवपुर में रहते हैं। लखीमपुर खीरी उत्तरप्रदेश का गन्ना बेल्ट हैजो भारत की राजधानी दिल्ली से 500 किमी दूर है।
अचल मिश्रा ने काल्विन डिग्री कॉलेज (लखनऊ यूनिवरसिटी) विधि स्नातक किया है, स्नातक में वो गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे हैं। इसके बाद भी उन्होंने नॉकरी की तरफ रुख नहीं किया। और अपने गाँव में गन्ने की खेती के स्वरूप को बदलने में खुद को लगाया।
खेती:- अचल मिश्रा बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं। वे अच्छे-खासे रकबे के भी मालिक हैं। लेकिन उनके उपज का पैमाना केवल अधिक ज़मीन नहीं नई, सुदृढ और अच्छी तकनीक भी है।
जिससे वे प्रति एकड़ औसत से अधिक उपज प्राप्त करते हैं। गन्ने की खेती में नए-नए प्रयोग करके लगातार उत्पादन बढ़ाने के लिए वो प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी ‘ के हाथों से सम्मान भी पा चुके हैं। अचल मिश्रा पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव लौटकर परंपरागत खेती में अपना ज्ञान लगाया।
आधुनिक तकनीक और उपज:- अचल के अनुसार 2006 के बाद उन्होंने आधुनिक तकनीक से गन्ने की खेती शुरू की, आज के समय उनके खेतों में 18 से 20 फीट तक का गन्ना होता है। उत्पादन की बात करें तो 1100 से 1250 कुन्तल तक प्रति एकड़ उपज होता है।
उपलब्धि:- पिछले 6 वर्षोंं से गन्ने की उपज में लगातार प्रथम पुरस्कार लेते रहे हैं। वर्ष 2018 में जब प्रधानमंत्री’ नरेंद्र मोदी’ ने सभी राज्यों से कुछ चुनिंदा किसानों को दिल्ली आमंत्रित किया था, उसमें गन्ने की खेती का नेतृत्व करने वाले अचल मिश्रा अकेले किसान थे, पीएम मोदी ने उन्हें इसके लिए सम्मानित भी किया था।
गन्ना की खेती में पैदावार बढ़ाने के तरीके।
अन्य तथ्य:- लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एडी पाठक के मुताबिक अचल मिश्रा काफी प्रगतिशील किसान हैं।
वो अपनी खेती को सुदृढ बनाने के लिए खुद से नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। संस्थान भी उन्हें हर तरह से मदद करता है।
पैदावार बढ़ाने के तरीके:- अचल मिश्रा बताते हैं कि अगर किसान हापसे विधि से खेती करते हैं तो अधिक पैदावार ली जा सकती है। इसके लिए ट्रेंच विधि से बुआई करें।
इसमे नाली का आकार 30 सेमी चौड़ी व गहरी, गन्ने से गन्ने के मध्य दूरी (120 सेमी 30:90 से.मी) का पूरा ध्यान रखें तथा गन्ने के टुकड़े की बुआई करें। इससे बीज कम लगता है और उपज भी ज्यादा होती है।
परंपरागत विधि से बुआई करने में करीब 45 कुंतल प्रति एकड़ गन्ना लगता है, जबकि ट्रेंच विधि के तरह बोने में 24-28 कुंतल ही बीज लगता है, और उत्पादन काफी बढ़ जाती है।
बुआई से पूर्व बीज शोधन अत्यंत आवश्यक है, समय-समय पर मिट्टी की जांच कराते रहें।
अचल की खेती देखने के लिए यूपी के साथ ही कई दूसरे राज्यों के भी किसान आते हैं। अचल अपने फार्म हाउस पर इन किसानों के लिए रुकने का भी इंतजाम कर रखे है।
ताकि किसान रुककर आसानी से खेती के तकनीकों को सीख सकें। अचल अपने फार्म हाउस पर कृषि महाविद्यालय बनाना चाहते हैं।
खेती के साथ टूरिज्म:- अचल ने अपने खेत को फार्म हाउस बनाया है तथा वो पर्टयन से भी कमाई करते हैं। अचल ने अपने खेत को रुरल टूरिज्म से भी जोड़ दिया है।
पर्यटकों के लिए उन्होने फार्म हाउस में ही रुकने की व्यवस्था की है। अचल का फार्म हाउस दुधवा नेशनल पार्क से सटा है अतः उन्होंने यूपी के पर्टयन विभाग से मिलकर अपने यहां यात्रियों के रुकने की पूरी व्यवस्था कर रखी है।
यूपी टूरिज्म की तरफ से इसकी बुकिंग भी होती है। उनके गेस्ट हाउस में ठहरने वाले यात्रियों को एक बेहतरीन शहर की भाग दौड़ भरी जिंदगी से कही ज़्यादा शान्ति का वातावरण मिलता है साथ ही वो जैविक विधि से तैयार भोजन ही परोसते है।
हमारे देश के प्रत्येक किसान इस स्तर तक पहुँच सकते हैं कुछ नया कर सकते हैं। फसलबाज़ार आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।
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Sir ji Kya achal Mishra ji kaa contact ya Facebook link milega kya Kya please kahise provide Kara dijiye na tnx.