फसल बाज़ार का मसाला विशेष साप्ताहिक विवरण।

नमस्कार, फसल बाजार आपके बीच अपने सप्ताह के सम्पूर्ण विवरण के साथ पुनः उपस्थित हैं । जिसमें हम आपसे अपने पूरे सप्ताह पर दिए गए सारे जानकारियों से परिचय करवाते हैं।

नमस्कार, फसल बाजार आपके बीच अपने सप्ताह के सम्पूर्ण विवरण के साथ पुनः उपस्थित हैं। जिसमें हम आपसे अपने पूरे सप्ताह पर दिए गए सारे जानकारियों से परिचय करवाते हैं।

तथा, आपके विचार एवं सलाह लेते हैं। हम आज भी एक-एक कर आपको अपने पूरे सप्ताह की विवरणों से परिचित करवाएंगे। तथा, अपने सप्ताह भर में आपके लिए की गई नवीन कार्यों एवं आपके सहयोग से प्राप्त सफलता एवं सेवा के अवसर की बात करेंगे।

साथ ही आपलोगों के सहयोग हेतु हमारे टीम में भी वृद्धि हुई है और एक नए और अनुभवी सदस्य का आगमन हुआ है। जिससे आपके सहयोग में अधिक वृद्धि होगा।

मिर्च:- भारतीय मिर्च एक वार्षिक फसल है। इसकी खेती मुख्यत: नगदी फसल के रूप में की जाती है। 87 से 90 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर की आमदनी प्रति वर्ष की जा सकती है।

भारत में उगाई जाने वाली मिर्च को पांच प्रमुख प्रजातियों में रखा जाता है- कैप्सिकम एनुअम, कैप्सिकम फूटेमेंस, कैप्सिकम पेंडुलम, कैप्सिकम प्यूबेसेंस, कैप्सिकम चाइनीज।

जीरा:- जीरा एक बीजीय फसल है, जो मसालों में प्रमुख स्थान रखता है। भारतवर्ष में सर्वाधिक जीरा उत्पादन गुजरात व राजस्थान में होता है। इन दो राज्यों में देश का 80% जीरा उगाया जाता है।

जीरा एक बीजीय फसल है, जो मसालों में प्रमुख स्थान रखता है। भारतवर्ष में सर्वाधिक जीरा उत्पादन गुजरात व राजस्थान में होता है। इन दो राज्यों में देश का 80 प्रतिशत जीरा उगाया जाता है।
जीरा

राजस्थान में देश के लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता। तकनीकों के प्रयोग द्वारा जीरे की वर्तमान उपज में 25-50 प्रतिशत तक का वृद्धि किया जा सकता है।

काली मिर्च:- काली मिर्च (पाईपर) एक बहुवर्षीय आरोही बेल है। इसके फल को मसाला तथा औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत विश्व में काली मिर्च का प्रमुख उत्पादक उपभोक्ता एवं निर्यातक देशों में एक है।

भारत में काली मिर्च की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडू राज्यों में होती है। भारत में इसका उत्पादन औसतन 55- 60 हजार टन है।

दालचीनी:- दालचीनी भारत के पुराने मसलों में से एक है। यह वृक्ष की शुष्क आन्तरिक छाल की पैदावार की जाती है। दालचीनी मूल श्रीलंका माना जाता है। भारत में इसकी खेती केरल एवं तमिलनाडू में की जाती है।

यह वृक्ष कम पोषक तत्व वाले लैटेराइट तथा बलुई मृदा में उगाए जा सकते हैं। यह मुख्यत: वर्षा आधारित वृक्ष होते हैं। इसके लिए 200-250 से मीटर वार्षिक वर्षा आदर्श है। यह खाद्य के जायका बढ़ाने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है।
दालचीनी

यह वृक्ष कम पोषक तत्व वाले लैटेराइट तथा बलुई मृदा में उगाए जा सकते हैं। यह मुख्यत: वर्षा आधारित वृक्ष होते हैं। इसके लिए 200-250 से मीटर वार्षिक वर्षा आदर्श है। यह खाद्य के जायका बढ़ाने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है।

धनिया:- भारत देश को सदियों से ”मसालों की भूमि” के नाम से जाना जाता है। धनिया भारत का एक महत्वपूर्ण मसाला है जिसके बीज एवं पत्तियां दोनों भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते हैं।

धनिया का बीज औषधीय गुणों के परिपूर्ण है। धनिया अम्बेली फेरी अथवा गाजर कुल का एक वर्षीय मसाला फसल है। इसका हरा धनिया सिलेन्ट्रो या चाइनीज पर्सले कहलाता है।

भारत में धनियां उत्पादन में मध्य प्रदेश अग्रणी है। यहाँ धनिया की खेती लगभग 1,16,607 हे. में होती है। जिससे लगभग 1,84,702 टन धनियां के बीज तथा पत्तियां प्राप्त होती है। इसकी औसत उपज 428 किग्रा. प्रति हेक्टेयर है।

धन्यवाद।

अनुराग ठाकुर!

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