जैविक खाद वर्मीकम्पोस्ट, उपयोग एवं लाभ।

हमारी तरह हमारे पेड़ पौधे को भी सही पोषण की जरुरत होती है, जिससे उनका अच्छे से विकास हो सके और इसीलिए हमें समय-समय पर पेड़ पौधे में खाद डालते रहना चाहिए। हम अपने पौधे में डालने के लिए या तो रासायनिक खाद या फिर जैविक खाद का इस्तेमाल कर सकते है।

परिचय:- जैविक खाद, हमारी तरह हमारे पेड़ पौधे को भी सही पोषण की जरुरत होती है, जिससे उनका अच्छे से विकास हो सके और इसीलिए हमें समय-समय पर पेड़ पौधे में खाद डालते रहना चाहिए। हम अपने पौधे में डालने के लिए या तो रासायनिक खाद या फिर जैविक खाद का इस्तेमाल कर सकते है।

रासायनिक खाद जैसे की यूरिया, कैल्शियम अमोनियम नाईट्रेट, एमोनियम सल्फेट, म्यूरियेट आफ पोटाश, राक सल्फेट, जिंक सल्फेट, चिलेटेड जिंक, एन.पी.के. आदि बाजार में आसानी से मिल जाते है।

जैविक खाद वो खादय पदार्थ है, जो पशु-पक्षियों के मल-मूत्र या शरीर के अवशेष से अथवा पेड़-पौधों से मिलता है। जैविक खाद जैसे की वर्मीकम्पोस्ट, गोबर, हरी खाद हम अपने घर पे तैयार कर सकते है या फिर हमारे घर पे उपलब्ध होते है।
वर्मीकम्पोस्ट

इन खादों के यह फायदे है की ये जल्दी असर करती है लेकिन इन्हें इस्तेमाल करने में सावधानी बरतनी पड़ती है। थोड़ी सी भी लापरवाही से यह पौधे को नुकसान पंहुचा सकती है।

जैविक खाद वो खादय पदार्थ है, जो पशु-पक्षियों के मल-मूत्र या शरीर के अवशेष से अथवा पेड़-पौधों से मिलता है। जैविक खाद जैसे की वर्मीकम्पोस्ट, गोबर, हरी खाद हम अपने घर पे तैयार कर सकते है या फिर हमारे घर पे उपलब्ध होते है।

ये खाद धीरे असर करती है लेकिन इसके प्रयोग से हमारे पौधे का सवस्त विकास होता है, और यह मिटटी को या पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता है।

वर्मीकम्पोस्ट:- वर्मीकम्पोस्ट जिसे केंचुआ खाद भी कहते है उत्तम पोषक तत्व वाली खाद है जो कम समय में वनस्पति या भोजन के बचे हुए कचरे के विघटन से बनता है। इसमें अधिक मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सूक्ष्म जीवाणु और सल्फर जैसे तत्व में पाए जाते हैं।

वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए आवश्यक तत्व:- वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से डेट्रीटीव्होरस प्रजाति का केंचुआ (जिनका रंग लाल होता है), वर्मीबैड, जैविक पदार्थ (पुरानी सड़ी गोबर, सुखा हरा घास, खेती से निकला कचरा, रसोई का कचरा), पानी, छायादार जगह की जरुरत होती है।

वर्मीबैड तैयार करने का तरीका

वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए वर्मीबैड सही तरीके से तैयार करना बहुत जरुरी है, इसके बाद ही अच्छी गुणवत्ता की वर्मीकम्पोस्ट बनकर तैयार होती है।

  • सुखी हुई घास, पत्ती और अन्य जैविक कचरे को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ देना है।
  • उसके बाद वर्मीबैड में 2.5 सेंटीमीटर बालू रेत की मोटी परत बना देना है।
  • उसके बाद इसमें 7.5 – 10 सेंटीमीटर सूखी और हरी जैविक कार्बनिक चीजों की मोटी परत बना देना है।
  • अब इसमें 45 – 50 सेंटीमीटर तक पुरानी सड़ी हुई गोबर को भर देना है।
  • अब इस परत पे पानी का छिड़काव कर देना है, जिससे वर्मीबैड का तापमान सामान्य हो जायेगा।
  • वर्मीबैड को पुलाव से ढककर 2 – 4 दिन तक किसी छायादार जगह में रख देना है।
  • वर्मीबैड का तापमान सामान्य हो जाये तब उसमें 5 हज़ार केंचुओं या आधा किलो केंचुओं को छोड़ देना है, और वर्मीबैड पर बारीक कटे हुए जैविक पदार्थों की 5 सेंटीमीटर की एक मोटी परत बना देना है।
वर्मीबैड तैयार करने के लग-भग 1 महीने बाद केंचुए खाद बनाना शुरू कर देते हैं। 25-30 दिन बाद खाद तैयार कर के केचुए वर्मीबैड के निचले परत चले जाये तब ऊपरी परत पे बने खाद को हाथ से निकालकर अलग कर देनी चाहिए जिससे केंचुओं को किसी तरह का नुक्सान ना पहुंचे।

वर्मीकम्पोस्ट कैसे बनाये:- वर्मीबैड तैयार करने के लग-भग 1 महीने बाद केंचुए खाद बनाना शुरू कर देते हैं। 25-30 दिन बाद खाद तैयार कर के केचुए वर्मीबैड के निचले परत चले जाये तब ऊपरी परत पे बने खाद को हाथ से निकालकर अलग कर देनी चाहिए जिससे केंचुओं को किसी तरह का नुक्सान ना पहुंचे।

इसके बाद हर 7-10 दिन बाद खाद को बाहर निकालते रहना चाहिए। जब पूरी वर्मीबैड का खाद बहार आ जाये तो उससे खुप में सुखा दें जब उसमें नमी की मात्रा लग-भग 30% बचे तब उसे जालीदार झरने से छानकर इस्तेमाल कर सकते है, और बाकि बचे खाद को पैकिंग करके रख सकते है।

सावधानियां

  • वर्मीबैड में नीचे की सतह में छेद कर दें जिससे पानी आसानी से निकलता रहे।
  • वर्मीबैड को छायादार जगह में रखना चाहिए धुप में केंचुए मर सकते है।
  • ताजे गोबर का इस्तेमाल न करे।
  • खाद में नमी की मात्रा लगातार 60% बनी रहे इसके लिए जरुरत पड़ने पर पानी छिड़क दें।
  • ध्यान रखे की खाद में प्लास्टिक या कांच, पत्थर न हो।
  • वर्मीबैड का तापमान सामान्य रहना चाहिए।

फसलबाज़ार

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