कमल की व्यापारिक खेती, पैदावार एवं लाभ।

कमल एक ऐसा फूल जो कि तालाब और झील के गंदे पानी में उगता है। लेकिन ऐसा जरुरी नही है। इसकी खेती कृत्रिम तरीके से खेत में भी की जा सकती है बस उस खेत में पानी जमा होना चाहिए।

परिचय:- कमल एक ऐसा फूल जो कि तालाब और झील के गंदे पानी में उगता है। लेकिन ऐसा जरुरी नही है, इसकी खेती कृत्रिम तरीके से खेत में भी की जा सकती है बस उस खेत में पानी जमा होना चाहिए।

इसका फूल गुलाबी या सफेद रंग का और पत्ते गोल, ढाल के जैसे होते हैं। इसकी पत्तियों की लंबी डंडियों से एक रेशा निकाला जाता है जिससे बत्तियाँ और कपड़े बनाए जाते है। कमल की कली सुबह के समय खिलती है और इसकी पंखुड़ियों के बीच में केसर से घिरा हुआ एक छत्ता होता है।

कमल की जड़ मोटी और सूराखदार होती हैं और इससे भी सूत निकाला जाता है। यहाँ तक की जब सूखे दिनों में पानी कम होने पर जड़ ज्यादा मोटी हो जाती है तब इसको सब्जी के तरह भी खाया जाता है।

भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल की हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में बहुत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। कमल पवित्रता, सौंदर्य, अनुग्रह, धन, ऐश्वर्य, उर्वरता, ज्ञान और शांति का प्रतीक है। यह हर रात नदी के पानी में डूब जाता है और अगली सुबह फिर से साफ-सुथरा खिलता है इस प्रक्रिया को जीवन, मृत्यु और पुन: उभरने की प्रक्रिया के कारण पुनर्जन्म और आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ा जाता है।

फायदे:- कमल के फूल का इस्तेमाल सिर्फ घर सजाने और पूजा पाठ में ही नहीं बल्कि कई तरह के रोग को ठीक करने में भी किया जाता है। इसकी पंखुड़ी, बीज के युवा पत्ते सभी खाने योग्य होते हैं। बहुत कम लोग जानते है की आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसके अनेक विशेषताएं बताई गई हैं। इसके इस्तेमाल से ज्यादा प्यास लगने की समस्या, कफज दोष, जलन, रक्तपित्त, पेशाब संबंधित बीमारी, बवासीर आदि में मदद मिलती है।

कमल के फूल का इस्तेमाल इस्रफ़ घर सजाने और पूजा पाठ में ही नहीं बल्कि कई तरह के रोग को ठीक करने में भी किया जाता है। इसकी पंखुड़ी, बीज के युवा पत्ते सभी खाने योग्य होते हैं।
कमल की खेती

इसके कई अन्य फायदे भी है जैसे की कमल के फूल के दूध को काजल की तरह लगाने से आंख की समस्या ठीक हो जाती है। इसकी जड़ को चबाने से दांतों के कीड़े खत्म जाते है और कमल के काढ़ा बना के पीने से बुखार उतर जाता है।

किस्में:- इसके 2 प्रजातियां पायी जाती है; नेलुम्बो लुटिया और नेलुम्बो न्यूसीफेरा। 20 पंखुड़ियों के साथ सफेद से हल्के पीले रंग वाले नेलुम्बो लुटिया अमेरिकी कमल के रूप में जाना जाता है। इसका तना पानी के ऊपर साढ़े तीन फीट लंबा होता है। नेलुम्बो न्यूसीफेरा गुलाबी और सफेद रंग वाले फूल होते हैं जिसको भारतीय कमल कहा जाता है। जिसका व्यास 13 इंच होता है। इसके अलावा नीला कमल भी एक किस्म है जो सिर्फ रात में खिलता है।

जलवायु:- सभी किस्म के कमल को विकास के लिए पानी के साथ गर्मी और धूप की भी ज़रूरत होती है।कमल को सफलतापूर्वक विकसित करने के लिए पानी का तापमान 21° सेल्सियस या उससे अधिक बनाए रखें। भारत में यह सभी उष्ण प्रदेशों तथा कश्मीर, हिमालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, दक्षिणी भारत में पाया जाता है।

खेती:- इसकी खेती जुलाई-अगस्त में की जाती है। कृत्रिम तरीके से खेत में इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करके उसमें कमल की जड़े लगा के फिर बीज बोया जाता है। 2 महीने तक खेत में पानी भरा रहना चाहिए।

इस तरह से अक्टूबर-नवंबर में फूलों को तोड़ा जा सकता है। बहते पानी में कमल की खेती नहीं करनी चाहिए क्यूंकि इससे राइजोम या ट्‌यूबर लुढ़कने लगता है, जिससे इसकी जड़ ढीली हो जाती है और इनका विकाश मुश्किल हो जाता है।

तुड़ाई और पैदावार:- कमल की खेती से कम समय में ज्यादा लाभ हो सकता है। 1 एकड़ में लगभग 6 हजार पौधे तैयार हो सकते है जिससे मिले फूल लगभग करीब 12-14 हजार रूपये में बेचे जा सकते है। एक बार की फसल से तीन तरह की चीजें तैयार होती है, इसके बीज के पत्ते और कमल गट्टे अलग-अलग बिकते है। कमल के फूल लगाने से 15-22 हजार रूपये का खर्च और 55 हजार तक की आमदनी हो जाती है।

फसलबाज़ार

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