साबूदाना बनाने की प्रक्रिया, फायदे एवं व्यापार।

साबूदाने सफेद रंग मोती जैसी एक खाने की सामग्री है जिसे ज्यादातर लोग व्रत के समय खाना पसंद करते है। यह किसी अनाज से नहीं अपितु सागो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो पाम, ताड़ की तरह का एक पेड़ है जो ज्यादातर पूर्वी अफ्रीका में पाया जाता है।

परिचय:- साबूदाना सफेद रंग मोती जैसी एक खाने की सामग्री है जिसे ज्यादातर लोग व्रत के समय खाना पसंद करते हैं। यह किसी अनाज से नहीं अपितु सागो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो पाम, ताड़ की तरह का एक पेड़ है जो ज्यादातर पूर्वी अफ्रीका में पाया जाता है।

साबूदाना का इस्तेमाल व्रतों में और सामान्य दिनों में खीर, खिचड़ी, पापड़, हलवा, चाट आदि की तरह खाने के लिए किया जाता है।
साबूदाना

इस्तेमाल:- साबूदाना का इस्तेमाल व्रतों में और सामान्य दिनों में खीर, खिचड़ी, पापड़, हलवा, चाट आदि की तरह खाने के लिए किया जाता है।

संभावना:- साबूदाना को कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है जिस वजह से बाजार में इसकी मांग बहुत है और आगे भी रहेगी। कुछ जगहों पे तो इसका सेवन रोजाना किया जाता है।

फायदे:- साबूदाने के सेवन को आरोग्यप्रद कहा गया है। इसमें कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फाइबर, पोटेशियम और फास्फोरस आदि पाया जाता है।

इसको खाने से वजन बढ़ाने में, गर्मी से बचाव में, हड्डियों को मजबूत करने में, उच्च रक्तचाप में, एनीमिया में, रक्त संचार में, पाचन आदि में सहायता करता है।

सागो पाम पेड़:- यह एक ताड़ की तरह का एक पेड़ है। इसका तना मोटा होता है, जिसके बीच के हिस्से को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर को छानकर गर्म किया जाता है ताकि दाने बन सके। साबूदाना बनाने के लिए कच्चा माल में सिर्फ ‘टैपिओका रूट’ जिसे कसावा स्टार्च भी कहा जाता है, की जरुरत होती है।

यह एक ताड़ की तरह का एक पेड़ है। इसका तना मोटा होता है, जिसके बीच के हिस्से को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर को छानकर गर्म किया जाता है ताकि दाने बन सके। साबूदाना बनाने के लिए कच्चा माल में सिर्फ ‘टैपिओका रूट’ जिसे कसावा स्टार्च भी कहा जाता है, की जरुरत होती है।
सागो पाम पेड़

पौधे की तयारी:- टपिओका की पौधे तैयार करने के लिए उसके तने के ही कई टुकड़े कर मिटटी में निश्चित दूरी पर रोप दिया जाता है। इस पौधे के कुछ किस्मों में हानिकारक तत्व भी होते हैं लेकिन उसे सफाई की प्रक्रिया से दूर किया जा सकता है।

इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरुरत होती है। भारत में इसकी ज्यादातर खेती केरल, तामिलनाडू और आन्ध्र प्रदेश में होती है।

साबूदाना बनाने की प्रक्रिया:- साबूदाना टैपिओका स्टार्च से बनाया जाता है, और टैपिओका स्टार्च कसावा कंद से बनाया जाता है।

कसावा कंद जो की शकरकंद तरह ही दिखता है, के गूदे को निकालकर 8-10 दिन तक बड़े-बड़े बर्तनों में पानी में रखा जाता है।

इस प्रक्रिया को बार-बार 4-6 महीनो तक किया जाता है और उसके बाद गूदे को निकालकर मशीनों में डाल के साबूदाना प्राप्त किया जाता है। बाजार में आने से पहले इन दानों पर ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की पॉलिश की जाती है।

पैकेजिंग:- साबूदाना को प्लास्टिक के पाउच में जिसपे कंपनी का नाम और लोगो प्रिंट हो में भर के पैकेजिंग करे। इससे आपके उद्योग का प्रचार भी होगा।

फसलबाज़ार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language»