ब्रुसेल्स स्प्राउट की खेती, फायदे तथा व्यापारिक लाभ।

ब्रुसेल्स स्प्राउट गोभी वर्गीय की सब्जी है जिसको छोटा पत्ता गोभी भी कहते है। इसके पौधे का विकास होने पर पत्तियों की गांठों से छोटे-छोटे बन्द गोभी निकलती है, जो बड़े होके 50-100 ग्राम तक के हो जाते है। इसका इस्तेमाल सलाद और सबजी की तरह किया जाता है।

परिचय:- ब्रुसेल्स स्प्राउट गोभी वर्गीय की सब्जी है जिसको छोटा पत्ता गोभी भी कहते हैं। इसके पौधे का विकास होने पर पत्तियों की गांठों से छोटे-छोटे बन्द गोभी निकलती है, जो बड़े होके 50-100 ग्राम तक के हो जाते हैं। इसका इस्तेमाल सलाद और सब्जी की तरह किया जाता है।

इसकी खेती ज्यादातर यूरोप, जापान, उत्तरी अमेरिका में की जाती है। भारत में इसकी खेती बहुत कम जगहों पे, जैसे की हिमाचल में और उत्तर भारत के मैदानी व पहाड़ी क्षेत्र में ठण्ड में की जाती है।

ब्रसल स्प्राउट स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है क्यूंकि इसमें अच्छी मात्रा में विटामिन-के, विटामिन-सी, आयरन, मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और बहुत कम कैलोरीज होती है। इसे खाने से वजन को कम करने में, टाइप 2 डाय‍बिटीज, हृदय रोग, कैंसर, आंखों की रौशनी, पाचन में और हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।
ब्रुसेल्स स्प्राउट

फायदे:- ब्रुसेल्स स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है क्यूंकि इसमें अच्छी मात्रा में विटामिन-के, विटामिन-सी, आयरन, मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और बहुत कम कैलोरीज होती है। इसे खाने से वजन को कम करने में, टाइप 2 डाय‍बिटीज, हृदय रोग, कैंसर, आंखों की रौशनी, पाचन में और हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।

जलवायु:- इसकी खेती के लिए ठण्ड और नम जलवायु अच्छा माना जाता है। यह एक ठंढ प्रतिरोधी फसल है।

मिट्टी:- ब्रुसेल्स स्प्राउट की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, लेकिन बलुई दोमट और हल्की चिकनी मिट्टी में भी खेती किया जाता है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ हो और वो जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी हो तो परिणाम अच्छा आता है।

खेत की तैयारी:- ब्रुसेल्स स्प्राउट की खेत की तैयारी मिट्टी की किस्म के हिसाब से होती है। हल्की मिट्टी में 2-3 जुताई और हल्की चिकनी मिट्टी में 4-5 जुताइयों की जरुरत होती है। खेत की जुताई ट्रेक्टर, रोटावेटर, हल आदि से कर मिट्टी को भुरभुरा कर दे जिससे खेत में कोई ढेले ना हो।

बुआई का समय:- इसकी बीजो को सितंबर में बोना शुरी कर देते है। उत्तरी भारत के मैदानी जगहों में अक्टूबर – नवम्बर में और पहाड़ी जगहों में मार्च – अप्रैल में बीज बोया जाता है। 500 – 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज उपयुक्त है।

नर्सरी की तैयारी:- खेत की अच्छे से जुताई कर मिट्टी भुरभुरा कर ले। उसके बाद 1 मीटर चौड़ाई की क्यारी बना ले। अब 2 पंक्तियो के बिच 3-4 सेन्टीमीटर और 2 पौधे के बीच 1 – 2 मिलीमीटर की दूरी रखते हुए बीज रोप के हल्की सिंचाई कर दे।

खेत की अच्छे से जुताई कर मिट्टी भुरभुरा कर ले। उसके बाद 1 मीटर चौड़ाई की क्यारी बना ले। अब 2 पंक्तियो के बिच 3-4 सेन्टीमीटर और 2 पौधे के बीच 1 – 2 मिलीमीटर की दूरी रखते हुए बीज रोप के हल्की सिंचाई कर दे।
ब्रुसेल्स स्प्राउट की खेती

7 दिन में बीजो में अंकुरण आ जाता है और 21-27 दिनों में पौधो को मुख्य खेत में स्थानांतरण किया जा सकता है। पौधो को मुख्य खेत में स्थानांतरण करने क बाद सिचाई कर दे।

खाद और उर्वरक:- 10-12 टन सड़ी हुयी गोबर खेत जुताई के समय डालना चाहिए। साथ ही प्रति हेक्टेयर नत्रजन 80-100 किलो, फास्फोरस 60-80 किलो, पोटाश 50-60 किलो डालना चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा पौध स्थानांतरण के 20 दिन बाद दे।

निड़ाई-गुड़ाई:- अच्छे फसल के लिए समय समय पर खेत में खरपतवारों को निड़ाई गुड़ाई करके निकालते रहना चाहिए। पूरी फसल अवधि के दौरान तीन से चार बार निड़ाई गुड़ाई करना चाहिए। पौधे को खड़े रहने में सहारा देने के लिए मिटटी भी चढ़ा देना चाहिए।

कटाई:- इसकी फसल की कटाई फसल अवधि के दौरान कई बार की जाती है। जब स्प्राउट 1 – 1.5 इंच मोटा और गोल हो जाये तो इन्हे काट लेना चाहिए।

उपज:- अच्छी देख रेख के बाद प्रति पौधा 800 – 1000 ग्राम स्प्राउट्स उत्पादन होता है। प्रति हैक्टेयर 1500 – 2000 कुन्तल उत्पादन प्राप्त हो सकता है। अच्छे स्प्राउट्स को 0°-1° सेल्सीयस और 90% – 95% आपेछित आद्रता पर 3 से 5 हफते तक स्टोर किया जा सकता है।

फसलबाज़ार

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