अदरक का व्यापार, निर्यात एवं केस स्टडी।

आपके भोजन में स्वाद बढ़ाने के साथ हीं औषधीय गुणों से भरपूर है अदरक। इसकी की खेती पहली बार हस्तिनापुर क्षेत्र के किसी किसान ने किया था। इस क्षेत्र में अदरक की फसल और पैदावार से कृषि वैज्ञानिक भी चकित हैं।

हम बात करने जा रहें है उत्तर प्रदेश के एक किसान जलालुद्दीन की जो सिर्फ 35,000 की लागत से अदरक की खेती करके 150000 की कमाई कर पाया।

पश्चमी उत्तर प्रदेश, जो गन्ने का गढ़ माना जाता है। यहाँ अधिकांश किसान गन्ने की खेती पर ही निर्भर हैं। लेकिन इस  सोंच से परे  गणेशपुर गाँव (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के एक किसान जलालुद्दीन ने अदरक की खेती को अपनाया। इसमें प्रथम वर्ष ही उसे खूब लाभ हुआ इसके बाद वहां के अन्य किसानों ने भी इस क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाये।

जलालुद्दीन ने अदरक की खेती को अपनाया। इसमें प्रथम वर्ष ही उसे खूब लाभ हुआ इसके बाद वहां के अन्य किसानों ने भी इस क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाये।
अदरक

परिचय:- आपके भोजन में स्वाद बढ़ाने के साथ हीं औषधीय गुणों से भरपूर है अदरक। इसकी खेती पहली बार हस्तिनापुर क्षेत्र के किसी किसान ने किया था। इस क्षेत्र में अदरक की फसल और पैदावार से कृषि वैज्ञानिक भी चकित हैं। इसका उपयोग मसालों के रूप में सब्जी, अँचार आदि में किया जाता है। भोजन के जायके बढ़ाने के साथ-साथ आपके जेब के जायके बढ़ाने में भी अदरक पूरी तरह सक्षम है। 

जलालुद्दीन द्वारा खेती:- कृषि वैज्ञानिक डॉ विरेंद्र पाल गंगवार के अनुसार भारत में लगभग 7,500 मैट्रिक टन उत्पादन किया जाता है। उनकी ही सलाह पर गणेशपुर के जलालुद्दीन ने 3/20 हेक्टेयर भूमि में अदरक की खेती की। यह खेती और इसकी पैदावार वहाँ के किसानों के लिये एक उदाहरण बना।

जलालुद्दीन ने इस खेती में कुल 35,000 खर्च किय थे, और उनका शुद्ध मुनाफ़ा 1,15000 का था। अगली बार वो खेती के क्षेत्रफल को बढ़ाने के विषय में सोंच रहे हैं। इस बार की उनकी फसल वहीं के किसानों ने हाथों-हाथ खरीद लिया।

अदरक का निर्यात:- भारत अदरक का निर्यात अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में भी करता है। उत्तरी भारत में यदि केरल, तमिलनाडू और उत्तराखंड के तर्ज पर खेती की जाए तो और अधिक लाभ कमाया जा सकता है।

क्षेत्र के हिसाब से यदि उन्नत बीजों का चयन किया जाए तो 150 से 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक फसल प्राप्त किया जा सकता है। कच्चे अदरक की कीमत 30 से 40 रुपये प्रति किग्रा होती है। पश्चमी उत्तर प्रदेश के लिए रिपो-डी- जेनेरो उत्तम प्रजाति है।

फसल बाज़ार

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