केला की खेती तथा व्यापारिक दृष्टि से महत्व।

केले का उत्पादन 300 से 400 कुंतल प्रति हेक्टेयर होता है। जिससे अच्छी कमाई की जा सकती है।

परिचय:- केला भारतवर्ष का प्राचीनतम स्वादिष्ट पौष्टिक पाचक एवं लोकप्रिय फल है। भारत देश में हर गाँव में केले के पेड़ पाए जाते हैं। केले के फल, वृक्ष और पत्ते सभी उपयोगी है। केले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है।

इसमें शर्करा एवं खनिज लवण और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके पकने पर फल के रूप में प्रयोग किया जाता है, तो कच्चे फलों को सब्जी के रूप में। इसका आटा भी बनाया जाता है, जिसका प्रयोग उपवास में किया जाता है। इसकी खेती पूरे भारत वर्ष में की जाती है।

केला भारत वर्ष का प्राचीनतम स्वादिष्ट पौष्टिक पाचक एवं लोकप्रीय फल है। भारत देश में हर गाँव में केले के पेड़ पाए जाते हैं। केले के फल, वृक्ष और पत्ते सभी उपयोगी है।केले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है।
केला की खेती

खेती के लिय उपयुक्त भूमि तथा जलवायु:- केले की खेती के लिए दोमट एवं मटियार दोमट भूमि, जिससे जल निकास उत्तम हो उपयुक्त मानी जाती है, भूमि का पी एच मान 6 -7 तक भूमि उपयुक्त मानी जाती है। गर्म एवं सम जलवायु केला की खेती के लिए उत्तम माना गया है।

केला के खेत की तैयारी, रोपाई एवं सिंचाई

खेत की तैयारी:- समतल खेत को 3,4 जुताई के बाद समतल लाइनों में गढ्ढा किया जाता है। गढ्ढे किस्मों के आधार पर बनाए जाते हैं। बिहार, उत्तरप्रदेश में मई के महीनें उपयुक्त माने गए हैं। गड्ढों को खोदकर 15-20 दिनों तक खुला छोड़ दें उसके बाद गोबर पानी मिला कर डाल दें और मिट्टी से ढक दें।

पेड़ों की रोपाई:- पौधे का रोपण पुत्तियो(केले के छोटे पौधे) द्वारा किया जाता है। तीन माह की तलवार नुमा पुत्तियाँ जिनमें घन कंद पूर्ण विकसित हो, का प्रयोग किया जाता है। रोपण जून महीनें के दूसरे पखवाड़े के प्रथम सप्ताह में किया जाता है।

उर्वरक:- इसमें, नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता परती है। फास्फोरस रोपाई के समय तथा रोपाई पूरी होने के बाद फिर समय-समय पर बाकी।

सिंचाई:- केले के बाग में नमी आवश्यक है। ग्रीष्म में 8-10 दिनों में तथा शीत में 13-15 दिनों में सिंचाई करते रहना चाहिए। मार्च से जून तक नमी बनाए रखने के लिए केले के थाले पर गन्ने के पत्ते या पॉलीथिन बिछा देना चाहिए। जिससे फलोत्पादन के गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।

किट नियंत्रण:- केले में मुख्य रूप से पत्ती बीटिल, तना बीटील रोग लगते हैं। इससे बचाव के लिए मिथाइल ओ-डिमेटान 25 ई सी 1.25 ml प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। दूसरी दवाएं भी सेम कंपोज़िशन में उपलब्ध हैं।

फूल निकालने के बाद130 से 170 दिनों बाद फल तैयार हो जाता है। जब फलियाँ के चारों ओर घड़ियाँ गोलाई ले कर पीली होने लगे तब इसकी कटाई की जाती है। केले के एक वृक्ष से एक बार ही फल मिलता है।
केला

कटाई:- फूल निकालने के बाद 130 से 170 दिनों बाद फल तैयार हो जाता है। जब फलियाँ के चारों ओर घड़ियाँ गोलाई ले कर पीली होने लगे तब इसकी कटाई की जाती है। केले के एक वृक्ष से एक बार ही फल मिलता है।

उत्पादन:- केले का उत्पादन 300 से 400 कुंतल प्रति हेक्टेयर होता है। जिससे अच्छी कमाई की जा सकती है।

फसलबाज़ार

16 thoughts on “केला की खेती तथा व्यापारिक दृष्टि से महत्व।

  1. Bhaii bahut hi jyada helpful hh. Farmers will get too much of benefits by using this app. Brilliant work done by my brother amritanshu

  2. आज का विषय अच्छा है।इसी तरह इस गर्मी के मौसम के लाभकारी फल जैसे तरबूज और ककड़ी के बारे में भी जानकारी दें।

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