मसाला उद्योग, मशीनरी एवं व्यापारिक लाभ।

मसाला, भारतीय भोजन में मसालों का स्थान हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा हैं। भारतीय भोजन की पहचान इसमें डालें गये मसालें और इसके सुगंध से ही है। भारत सदा से मसालों का सबसे बड़ा बाज़ार रहा है।

परिचय:- मसाला, भारतीय भोजन में मसालों का स्थान हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है। भारतीय भोजन की पहचान इसमें डाले गये मसालें और इसके सुगंध से ही है। भारत सदा से मसालों का सबसे बड़ा बाज़ार रहा है।

मसाला मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को छोटे स्तर की हो या बड़े स्तर की रजिस्ट्रेशन की सारी प्रक्रिया फॉलो करना अनिवार्य है।
मसाला मशीन

आज के व्यस्त दिनचर्या में लोग पिसे हुए मसलों का अधिक उपयोग करते हैं। ऐसे में यह व्यवसाय अत्यंत लाभदायक हो सकता है। इस व्यवसाय में कम लागत में अधिक मुनाफ़ा है, इस व्यवसाय को आप अपनी लागत के अनुसार अपना व्यापार बड़ा या छोटा प्रारंभ कर पैसा कमा सकते हैं।

अत्यंत लघु स्तर पर आप इसे अपने घर से भी शुरू कर सकते हैं, या एक छोटा प्लांट भी लगा सकते हैं। यह लघु, मध्यम, तथा बड़े पैमाने पर भी की जा सकने वाला व्यापार है।

रजिस्ट्रेशन:- मसाला मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को छोटे स्तर की हो या बड़े स्तर की रजिस्ट्रेशन की सारी प्रक्रिया फॉलो करना अनिवार्य है।

रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस:- सबसे पहले ROC का रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद लोकल म्युनसिपल अथॉरिटी से ट्रेड लाइसेंस लेना होगा। इसके बाद फूड ऑपरेटर लाइसेंस और फिर BIS सर्टिफिकेट।

जगह:- मसालों के प्रोडक्शन के लिए लगभग 75 स्क्वायर फीट के जगह की आवश्यकता होती हैं। वहीं पैकिंग और गोडाउन के लिए 150 स्क्वायर फीट की जगह चाहिए, मसालों के ग्राइंड और प्रोसेस के लिए साधारण मशीनरी और उपकरणों की आवश्यकता होती हैं।

मसालों की मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के लिए सबसे पहले डिस-इंटीग्रेटर इंस्टाल कराना होगा। इसके साथ ही स्पाइस ग्राइंडर तथा पाउच सीलिंग मशीन की भी आवश्यकता होगी। तथा सही वजन तौलने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वैट मशीन चाहिए।
मसाला

मशीनें:- मसालों की मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के लिए सबसे पहले डिस-इंटीग्रेटर इंस्टाल कराना होगा। इसके साथ ही स्पाइस ग्राइंडर तथा पाउच सीलिंग मशीन की भी आवश्यकता होगी। तथा सही वजन तौलने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वैट मशीन चाहिए।

सारे कार्यों के लिए आज-कल ऑटोमेटिक मशीनें भी आ गई है। जिसमें एक ही मशीन में सारे कार्य होते हैं। ग्राइंडर मशीन आप लग-भग ₹ 85000 में बाज़ार से प्राप्त कर सकते हैं।

कच्चे माल:- कच्चे माल के रूप में साबुत हलदी, साबुत काली मिर्च, साबुत धनिये आदि की आवश्यकता होती है। जितना अच्छा आपका कच्चा माल होगा उतनी ही अच्छी क्वालिटी होगी और उतना ही बाज़ार पे आपका पकड़ होगा।

कार्य विधी:- इस प्रोसेस में सबसे पहले मसालों को साफ़ कर उसे सूखा लें। कुछ मसालों को भूनना व छांटना भी परता है। इसके बाद मसलों को अच्छे से पीस कर वजन के अनुसार उनकी पैकिंग भी की जाती है।

लागत:- मसाला उद्योग 2 से 2.5 लाख रुपए में प्रारंभ किया जा सकता है। तथा इसमें आपको सिर्फ लाभ ही होगा यदि आपके सामान की गुणवत्ता अच्छी हो तथा बाज़ार पे आपकी पकड़ अच्छी हो। अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ अच्छे मरकेटिंग की भी जरूरत है।

फसलबाज़ार

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