ओरिगैनो की खेती, फायदे तथा व्यापारिक लाभ।

परिचय:- ओरिगैनो टकसाल परिवार लैमियासी का एक बारहमासी पौधा है जो भूमध्य क्षेत्र का मूल निवासी है, लेकिन उत्तरी गोलार्द्ध में भी उगाया जा सकता है। इसके फूल गुलाबी-बैंगनी या सफेद रंग के होते हैं और इसका स्वाद अजवायन के फूल जैसा तेज और मजबूत होता है। हालांकि इसे ठंडे मौसम में वार्षिक फसल के रूप में उगाया जाता है, लेकिन इसे जीवित रखने के लिए सूरज की गर्मी की भी जरुरत होती है।

इस्तेमाल:- ओरिगैनो का एक मजबूत स्वाद है जो सूक्ष्म मिठास के संकेत के साथ व्यंजनों में स्वाद लाता है। यह ताजा, सूखे या तेल के रूप में पाया जाता है, जिनके सभी के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ होते है। इसका व्यापक रूप से इटालियन व्यंजनों, भूमध्यसागरीय बेसिन, लैटिन अमेरिका, और अर्जेंटीना के साथ अन्य देशों के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। इसका तेल के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

फायदे:- ओरिगैनो एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध है जो शरीर में हानिकारक मुक्त कणों से नुकसान से लड़ने में मदद करता है। इसमें कुछ ऐसे यौगिक होते हैं जिनमें शक्तिशाली जीवाणुरोधी गुण, कैंसर विरोधी गुण, वायरल संक्रमण को कम करने के गुण, सूजन को कम कर सकने की ताक़त होती है।

मिट्टी:- इसकी खेती के लिए अच्छी तरह से सूखा, रेतीली और अपेक्षाकृत शुष्क मिट्टी जिसका पीएच मान 6-8 हो उपयुक्त होता है।

खेत की तैयारी:- खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर उसमें सन्तुलित खाद डालकर समतल कर ले और खेत में जल निकासी प्रबंध भी कर दे जिससे खेत में पानी जमा ना हो।

ओरिगैनो एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध है जो शरीर में हानिकारक मुक्त कणों से नुकसान से लड़ने में मदद करता है। इसमें कुछ ऐसे यौगिक होते हैं जिनमें शक्तिशाली जीवाणुरोधी गुण, कैंसर विरोधी गुण, वायरल संक्रमण को कम करने के गुण, सूजन को कम कर सकने की ताक़त होती है।
ओरिगैनो

पौधा रोपण:- इसे आसानी से बीज के द्वारा या फिर स्थापित पौधे से कटिंग के द्वारा रोपा जा सकता है। हलाकि पौधे से कटिंग के द्वारा रोपने के लिए पहले उसमें जडे उगाना पड़ता है। इसके लिए पौधे से एक तना काट के उसे पानी में रोप दे। कुछ दिनों बाद जब उसमे से जड़ें निकल आये तो उन्हें खेत में या गमले में रोप दे। बीज के द्वारा खेती करने के लिए बीज को खेत में 12-15 इंच की दूरी पर रोपे और सिंचाई कर दे। बुवाई वसंत में करें या पिछले वसंत ठंढ से 6-10 सप्ताह पहले जब मिट्टी का तापमान कम से कम 15° सेल्सियस हो।

सिंचाई:- पहली सिंचाई पौध रोपने के तुरंत बाद करे। सिंचाई के बीच मिट्टी को पूरी तरह से सूखने दें और नियमित रूप से सिंचाई करते रहे, इस बात का ध्यान रखें कि पानी ज्यादा न हो।

देखभाल:- पौधों के 4 इंच लंबा होने पर उसके ऊपर के कुछ पत्तों को तोड़ ले जिससे पौधे ज्यादा अच्छे से विकास करे और ज्यादा उजाग प्राप्त हो। साथ ही खरपतवार जैसे- घास, मोथा, व शरद ऋतु के जंगली पौधे को खेत से बाहर निकाल देना चाहिए और पौधों की जड़ के पास मिट्‌टी भी चढ़ा दे।

कीट, रोग एवं रोकथाम:- इसमें सफेद मक्खी, मकड़ी के कण और ख़स्ता फफूंदी कीट और रोग देखा जा सकता है। इसके रोकथाम के लिए जरुरी कीटनाशक; इमिडाक्लोप्रिड (व्हाइटफ्लाई), ऑर्गेनिक नॉकडाउन स्प्रे या नीम का तेल (स्पाइडर माइट्स और पाउडर फफूंदी) का इस्तेमाल करे।

उपज:- फूल खिलने से ठीक पहले की पत्तियों में सबसे ज्यादा स्वाद पाया जाता है इसीलिए पत्तियों को आवश्यकता के समय कटाई करें। ओरिगैनो की पत्तियां अच्छी तरह से स्टोर होती हैं इसीलिए इसे सर्दियों के दौरान उपयोग करने के लिए पत्तियों को फ्रीज कर सकते हैं और जब यह सूख जाये तो इसे एयरटाइट कंटेनर में रख दें।

फसलबाज़ार

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