दलहन वो अन्न है जिससे दालें बनती है। यह वनस्पति में प्रोटिन का मुख्य स्रोत है। अरहर ,चना, मटर, मसूर और मूंग इसके कुछ उदाहरण हैं।
अरहर:- दलहनी फसलों में अरहर की दाल का विशेष महत्व है। इसमें 20-21% तक प्रोटीन पाई जाती है। साथ ही इस प्रोटीन का पाचन भी अन्य प्रोटीन से अच्छा होता है। अरहर की दीर्घकालिक प्रजातियाँ मृदा में 200 किग्रा तक वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थरीकरण कर मृदा को उर्वरक बनाती है। शुष्क क्षेत्रों में अरहर की बोआई की प्राथमिकता है। असिंचित क्षेत्र में दलहन की खेती लाभकारी है। महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश प्रमुख दलहन उत्पादक राज्य हैं।
बुआई:- सीघ्र पकने वाली फसलों को जून के प्रथम पखवाड़े तथा विधि में मध्यम देर से पकने वाली प्रजातियों की बुआई जून के दूसरे पखवाड़े में करनी चाहिए। बुआई सीडडिरल या हल के पीछे चोंगा बांध कर हो।
भूमि का चुनाव:- अच्छी जलनिकास व उच्च उर्वरता वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है। खेत में पानी का ठहराव फसल को भारी हानी पहुँचाता है।
दलहन के खेत की तैयारी, उर्वरक और बीजशोधन।
अरहर के खेत की तैयारी:- मिट्टी पलट हल से एक गहरी जुताई के उपरांत 2-3 जुताई हल अथवा हैरो से करना उचित रहेगा। प्रत्येक जुताई के बाद सिंचाई एवं जल निकास की पर्याप्त व्यवस्था हेतु पाटा देना आवश्यक है।
उर्वरक:- मिट्टी के आधार पर उर्वरक अंतिम जुताई के समय, 2 सेमी गहराई तथा, 5 सेमी साइड में देना सर्वोत्तम रहेगा। 15-20 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फोरस, 20 किग्रा पोटास और 20 किग्रा गंधक प्रति हेक्टेयर आवश्यक है। पोटास और जिंक का प्रयोग बिना मृदा परीक्षण के नहीं करें।
बीजशोधन:- मिट्टी से जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को 2 ग्राम तथा 1 ग्राम कारवेंडाजिम प्रति किग्रा अथवा 3 ग्राम थीरम प्रति किग्रा की दर से शोधित करके बुआई करें।
बीजोपचार:- 5 किग्रा अरहर के बीज के लिए रायजोबियम कल्चर का आधा पैकेट लें, 25 ग्राम गुड़ या चीनी को 1/4 लीटर पानी में घोलकर उबाल लें। घोल के ठंढा होने पर राईजोबियम कल्चर मिला दें। इस कल्चर में 5 किग्रा बीज डालकर अच्छी प्रकार मिला लें ताकी प्रत्येक बीज पर कल्चर अच्छी तरह से चिपक जाए।
खरपतवार:- प्रथम 60 दिनों तक खरपतवार अत्यंत नुकसानदायक है। समुचित उपाय करें, 25-30 दिन बाद फिर 45-60 दिन बाद खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण करें।
किट नियंत्रण के तरीके:- फलिमख्खी, इंडोसल्फान-35 ई.सी., 20 ml क्यूनालफास 35 ई. सी. 15 ml मोनोक्रोटोफास 30 डब्लू. एस. सी. 11 ml 10 lit पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
80 % फलियों के पकजाने पर कटाई करें। उन्नत विधि से खेती करने पर 15-20 कुंतल प्रति हेक्टेयर दाना एवं 50-60 कुंतल प्रति हेक्टेयर लकड़ी प्राप्त होता है।
भण्डार:- भण्डारण हेतु कीटों से सुरक्षा के लिए एल्मुनियम फास्फाइड की 2 गोली प्रति टन प्रयोग करें।
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