शतावरी की खेती, फायदे तथा व्यापारिक लाभ।

परिचय:- शतावरी जिसे अंग्रेजी में एस्परैगस कहते है, एक किस्म की सब्ज़ी है जिसके पैधो के कंदिल जड़ होते हैं। शतावरी के पौधों की जड़ें पहले तो ताजी और चिकनी होती है, लेकिन सूखने पर उसपे अधोमुखी झुर्रियां आ जाती है। इसके फूल जुलाई से अगस्त तक खिलते हैं, यह एक बहुवर्षीय पौधा है। यह […]

हरे प्याज की खेती तथा व्यापारिक महत्व।

परिचय:- हरे प्याज को कंदीय फसल भी कहते हैं जिसकी जड़ या कंद छोटी होती है। इसकी पत्तियाँ लहसुन की पत्तियों के जैसे लम्बे चौड़े सीधी और नुकीले और तना सफेद होता है। इसका इस्तेमाल सूप, सलाद, और सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। यह यूरोपियन देशों की प्रमुख फसल है जिसे अब हिंदुस्तान […]

सहजन की खेती, फायदे एवं व्यापारिक लाभ।

परिचय:- सहजन एक औषधीय पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा और अंग्रेजी नाम ड्रमस्टिक है। इसे अलग-अलग जगहो में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। सहजन के पत्‍ते, फूल और फल सभी काफी पोषक होते हैं जिससे कई तरह की औषधियां बनाई जाती हैं, और इसी वजह से इसकी मांग देश-विदेश में बहुत है। […]

लेमन ग्रास(नीबू घास) की खेती, किस्में तथा लाभ।

परिचय:- लेमन ग्रास(नीबू घास) एक सगंधीय पौधा है। जिसका सगंधीय पौधों में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके पत्तों से तेल निकाला जाता है, जिसका उपयोग औषधियों के निर्माण से लेकर उच्च कोटि के इत्र बनाने तथा विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों तक में किया जाता है। इसमें साईंट्रल सांद्रण पाया जाता है। ‘विटामिन ए’ के संश्लेषण के […]

पालक की व्यापारिक खेती, उन्नत किस्में एवं फायदे।

परिचय:- पालक की खेती का हरी सब्जी के फसलों में विशेष महत्व है। देश के लगभग सभी भागों में रबी, खरीफ तथा जायद तीनों मौसम में इसकी खेती बहुतायत में की जाती है। देशी पालक की पत्तियाँ चिकनी अंडाकार, छोटी एवं सीधी तथा विलायती की पत्तियों के सिरे कटे हुए होते हैं। देशी पालक में […]

कद्दू की व्यापारिक खेती, किस्में एवं लाभ।

परिचय:- आज बढ़ती हुई आबादी तथा उनकी जरूरतों को देखते हुए सब्जी की खेती आय अर्जित करने का बेहतर साधन है। इसे ध्यान में रखते हुए हम कद्दू की खेती की बात करते हैं। सब्जी की खेती में कद्दू का अपना प्रमुख स्थान है। इसमें अनेक पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसके हरे फलो […]

वन करेला की खेती, किस्में एवं औषधीय गुण।

परिचय:- जंगली करेला या वन करेला (चठईल) की खेती हमारे देश के अनेक राज्यों में की जाती है। यह करेला की जंगली प्रजाति है, इसलिय इसे मीठा करेला भी कहते हैं। इसे कई और नाम से अलग-अलग स्थानो में जाना जाता है। जैसे- मीठा करेला, कँटीला परवल, करोल, भाट करेला, कोरोला, करटोली, ककोड़ा आदी। महत्व:- […]

ब्रोकली की खेती एवं स्वास्थ्य के प्रति महत्व।

परिचय:- स्प्राउटिंग ब्रोकली, इसे हरी गोभी भी कहते हैं। यह एक गोभी वर्गीय सब्जी है, जिसकी खेती फूलगोभी के समान ही की जाती है। इसके बीज, पौधे तथा इसमें लगने वाले फूल भी गोभी के समान ही होते हैं। ब्रोकली का खाने वाला भाग छोटी-छोटी बहुत सारी हरे फूल कलिकाओं का गुच्छा होता है जिसे […]

चुकंदर(बिट) की खेती, पैदावार तथा लाभ।

परिचय:- चुकंदर जड़ वाली सब्जियों में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी खेती खारे पानी की सिंचाई से भी संभव है। इसका उपयोग मुख्यतः सलाद और जूस में किया जाता है। यह रक्त की कमी दूर करने में मददगार है। चुकंदर में 8-15% चीनी, 1.3-1.8% प्रोटीन, 3-5 % मैग्नीशियम, कैल्सियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन, मैगनीज, […]

परवल की जैविक खेती एवं व्यापारिक लाभ।

परिचय:- परवल भारत में बहुत ही प्रचलित तथा उपयोगी सब्जी है। आज के समय में किसान परवल की खेती करके अत्यधिक मुनाफा कमा रहे हैं। साधारणतया इसकी खेती पूरे वर्ष की जाती है। बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश परवल के प्रमुख उत्पादक राज्य है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, आसाम तथा महाराष्ट्र में भी आंशिक तौर […]

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