फसलबाज़ार का तिलहन विशेष साप्ताहिक समाचार।

नमस्कार किसान भाइयों हम फिरसे आपके बीच अपने पूरे सप्ताह के तिलहन विशेष विवरण के साथ उपस्थित हैं । जिसमें हम आपसे अपने पूरे सप्ताह पर दिए गए सारे आर्टिकल की चर्चा करते हैं, तथा आपके विचार लेते हैं।

नमस्कार किसान भाइयों हम फिरसे आपके बीच अपने पूरे सप्ताह के तिलहन विशेष विवरण के साथ उपस्थित हैं । जिसमें हम आपसे अपने पूरे सप्ताह पर दिए गए सारे आर्टिकल की चर्चा करते हैं, तथा आपके विचार लेते हैं।

हम आज भी एक-एक कर आपको अपने पूरे सप्ताह की विवरणों से परिचित करवाएंगे तथा अपने सप्ताह भर में आपके लिए की गई नवीन कार्यों से परिचित करवाएंगे।

हमें भारतवर्ष के हर राज्यों से किसान भाइयों का स्नेह प्राप्त होता है। किसान भाइयों को आर्टिकल समझ पाने में आ रही भाषा संबंधी दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए जो ट्रांसलेशन का ऑप्शन दिया है, अब उसके लाभ भी दिखने लगें हैं।

इसी क्रम में हमारे एक किसान मित्र हरियाणा के हिसार से हमसे जुड़े हैं, जो पहले से अच्छी खेती कर रहे हैं तथा अब मशरूम की खेती करने की इच्छा रखते हैं। उनके इस पहल और हमारे आर्टिकल के द्वारा उनकी इच्छाजागृति हमें नई ऊर्जा प्रदान करती है।

हम कृतज्ञ हैं अपने सभी किसान भाइयों के, आप हमारे साथ अपने विचार अपनी भाषा में शेयर कर सकते हैं।
अब बात करते हैं हमारे द्वारा प्रेषित की गई आर्टिकल की :-

मूंगफली:- यह तिलहन की एक महत्वपूर्ण फसल है। भारत के विभिन्न प्रान्तों में सफलतापूर्वक उगाई जाने वाली इस फसल को तेल तथा खाद्यान्न दोनो रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

मूंगफली तिलहन की एक महत्वपूर्ण फसल है। ये भारत के विभिन्न प्रान्तों में सफलतापूर्वक उगाई जाती है। इसे तेल तथा खाद्यान्न दोनो रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
मूंगफली

इसके तेल में प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट, विटामिन -बी, विटामिन-सी कैल्शियम, मैग्नेशियम, जिंक फॉस्फोरस और पोटाश जैसे खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। इसकी खेती गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

सूरजमुखी:- सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जीसकी खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनो ही मौसम में की जा सकती है। परंतु उत्तर भारत में जायद में ही इसकी खेती ज्यादातर की जाती है, और यही समय उपायुक्त भी रहता है। क्योंकि इस मौसम में मधुमक्खी अधिक होती है, जो इसकी उपज के लिए अनिवार्य है। इसके वनस्पति से घी भी बनाई जाती है, साथ ही यह औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण है।

अरण्डी:- यह औषधीय गुणों से भरपूर है इसके तेल का उपयोग अनेक बीमारियों में अचूक दवा के रूप में किया जाता है। अरण्डी का तना कीटनाशक बनाने के काम में आता है।

इसके पत्तों तथा जड़ों का दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। मिश्रित फसल की बुआई में अरंडी के नीचे वाली फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

जेट्रोफा (रत्नज्योत):- इसके तेल का इस्तेमाल ईंधन, औषधि, जैविक खाद, रंग बनाने में किया जाता है। इसके भूमि सूधार, भूमि कटाव को रोकने में, खेत की मेड़ों पर बाड़ के रूप में महत्व है। यह बदलते परिदृश्य में रोजगार की संभावनाओं को बढ़ानें में उपयोगी साबित हुआ है।

जेट्रोफा (रत्नज्योत) के तेल का इस्तेमाल ईंधन, औषधि, जैविक खाद, रंग बनाने में किया जाता है। इसके भूमि सूधार, भूमि कटाव को रोकने में, खेत की मेड़ों पर बाड़ के रूप में महत्व है।
जेट्रोफा (रत्नज्योत)

यह उ बायो-डीजल का स्रोत है जिसमें गैर विषाक्त, कम धुएँ वाला एवं पेट्रो-डीजल सी समरूपता पाई गई है। अतः इसे स्वक्ष ईंधन के रूप में भी देखा जाता है। सामान्यतः इसे जंगली अरंड, व्याध्र अरंड, रतनजोत, चन्द्रजोत एवं जमालगोटा आदि के नामों से जाना जाता है। यह अरंडी की एक प्रजाति है, इसका वनस्पति नाम जैट्रोफा करकस है।

मेंथा(Mint):- यह एक औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति है। इसकी उपलब्धता तथा इसके फायदे को देखते हुए पिछले कुछ वर्षों से मेंथा जायद की प्रमुख फसल के रूप में अपना स्थान बना रही है। इसके तेल का उपयोग सुगन्ध व औषधि बनाने में किया जाता है।

नारियल:- नारियल एक आराध्य फल होने के साथ-साथ दैनिक जीवन में भी अत्यंत उपयोगी है। भारत में नारियल के संस्कृतिक महत्व के साथ-साथ आर्थिक महत्व भी है।

नारियल से भारत के छोटे किसानों का जीवन जुड़ा हुआ है, इस वृक्ष का हर हिस्सा उपयोगी है। नारियल का कच्चा फल पेय, पक जाने पे खाद्य एवं तेल के लिए उपयोग किया जाता है।

फल का छिलका विभिन्न औद्योगिक कार्यो में तथा पत्ते एवं लकड़ी भी अत्यंत उपयोगी हैं। नारियल की इन्हीं उपियोगिताओं के कारण इसे कल्पवृक्ष कहा जाता है।

इस सप्ताह हमनें उपरोक्त तिलहन फसलों, इसके व्यापारिक तथा औषधीय गुणों की बात की। अब उपस्थित होंगे कुछ और नए और आपके लिए लाभदायक फसलों के साथ।

धन्यवाद।

अनुराग ठाकुर!

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