फसलबाज़ार का हर्बल विशेष साप्ताहिक विवरण।

अपने पूरे सप्ताह के साप्ताहिक विवरण के साथ। जिसमें हम आपसे बात करेंगे अपने पूरे सप्ताह पर दिए गए सारे आर्टिकल की। हम एक-एक कर आपको अपने पूरे सप्ताह की विवरणों से परिचित करवाएंगे तथा अपने सप्ताह भर में आपके लिए की गई नवीन कार्यों से परिचित करवाएंगे।

नमस्कार किसान भाइयों हम उपस्थित हैं पुनः अपने पूरे सप्ताह के साप्ताहिक विवरण के साथ। जिसमें हम आपसे बात करेंगे अपने पूरे सप्ताह पर दिए गए सारे आर्टिकल की। हम एक-एक कर आपको अपने पूरे सप्ताह की विवरणों से परिचित करवाएंगे तथा अपने सप्ताह भर में आपके लिए की गई नवीन कार्यों से परिचित करवाएंगे।

चुकी हमें भारतवर्ष के हर राज्यों से किसान भाइयों का स्नेह प्राप्त होता है। लेकिन हिन्दी भाषा होने के कारण कुछ किसान भाइयों को आर्टिकल समझ पाने में दिक्कतों का सामना करना पर रहा था।

अतः उन्हें ध्यान में रखते हुए हमनें ट्रांसलेशन का ऑप्शन डाल दिया है। अब आप अपने जरूरत के अनुसार लैंग्वेज चेंज कर लाभ ले सकते हैं। आप हमारे साथ अपनी आईडिया के साथ अपने विचार अपनी भाषा शेयर कर सकते हैं।


अब बात करते हैं हमारे द्वारा प्रेषित की गई आर्टिकल का साप्ताहिक विवरण :-

बकरी पालन:- बकरी पालन प्रायः सीमित साधन के साथ कम लागत, साधारण आवास, सामान्य रख-रखाव के साथ सामान्य पालन-पोषण के साथ किया जाता है। इसके उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार ढूंढना नहीं पड़ता यह सर्वत्र उपलब्ध है। इसलिए पशुधन में बकरी का एक विशेष स्थान है।

अतः महात्मा गाँधी बकरी को ‘गरीब की गाय’ कहा करते थे। जब एक ओर पशुओं के चारे-दाने एवं दवाई महँगी होने से पशुपालन आर्थिक दृष्टि से कम लाभकारी लगने लगा है। बकरी पालन अब भी कम लागत एवं सामान्य देख-रेख में गरीब किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के जीवन यापन एक साधन बन रहा है।

इससे होने वाली आय समाज के आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करने लगा है। बकरी पालन स्वरोजगार का एक पउत्तम साधन बन रहा है।

मुलेठी:- मुलेठी को सदाबहार झाड़ीनुमा पौधे की श्रेणी में रखा जाता है। इसे यष्टिमधु, मुलहटी अथवा मुलेठी के नाम से जाना जाता है। इसमें गुलाबी, जामुनी रंग के फूल तथा फल लंबे व चपटे होते हैं। यह एक सर्वसुलभ औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी है।

मुलेठी को सदाबहार झाड़ीनुमा पौधे की श्रेणी में रखा जाता है।इसे यष्टिमधु, मुलहटी अथवा मुलेठी के नाम से जाना जाता है। इसमें गुलाबी, जामुनी रंग के फूल तथा फल लंबे व चपटे होते हैं। यह एक सर्वसुलभ औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी है। साप्ताहिक विवरण
मुलेठी

सामान्यतः मुलेठी ऊँचाई वाले स्थान जैसे जम्मूकश्मीर, देहरादून, सहारनपुर तक उगाई जाती है। वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से अब इसे हिमालय के तराई वाले सुष्क क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी खेती करना अबआसान एवं किफ़ायती हो गया है। इसकी खेती के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाताहै।

अश्वगंधा या असगंधा:- अश्वगंधा या असगंधा का वानस्पतिक नाम वीथानीयां सोमनीफेरा है। यह एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है साथ ही यह नकदी फसल भी है। यह पौधा ठंडे स्थानों को छोड़कर अन्य सभी स्थानों में पाया जाता है। मुख्य रूप से इसकी खेती मध्यप्रदेश के पश्चिमी भाग व निकटवर्ती राज्य राजस्थान में होती है।

गन्ने की खेती:- गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। यह वाणिज्यिक फसल हैै, गन्ने को नकदी फसल भी कहते हैं। यह चीनी और गुड़ उत्पादन का मुख्य श्रोत है। भारत का स्थान चीनी उत्पादन में दूसरा है। गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार देती है।

कड़ी पत्ते:- कड़ी पत्ते को मीठा नीम के नाम से भी जाना जाता है। इसका पौधा देखने में कड़वे नीम की तरह ही होता है, लेकिन इसकी पत्तियां किनारों पर से कटी हुई नही होती। इसके पेड़ की ऊंचाई अधिकतम 15 से 20 फिट तक होती है।

कड़ी पत्ते को मीठा नीम के नाम से भी जाना जाता है। इसका पौधा देखने में कड़वे नीम की तरह ही होता है, लेकिन इसकी पत्तियां किनारों पर से कटी हुई नही होती। इसके पेड़ की ऊंचाई अधिकतम 15 से 20 फिट तक होती है, साप्ताहिक विवरण।
कड़ी पत्ता

इस पौधों को लगभग 2 मीटर तक ही बढ़ने देते हैं। मीठे नीम की पत्तियों का इस्तेमाल मुख्य रूप से मसाले और औषधियों में किया जाता है। इस कारण इसके पौधे को मसाले और औषधीय पौधों की श्रेणी दोनों में शामिल किया गया हैं।

मेथी:- राजस्थान तथा गुजरात मेथी पैदा करने वाले राज्यों में अग्रणी है। 80 फीसदी से अधिक मेथी का उत्पादन इन दोनों राज्यों में होता है। इसकी खेती मुख्यतः रबी मौसम में की जाती है, दक्षिण भारत में इसकी खेती बारिश के मौसम में की जाती है।

यह औषधीय गुणोंसे भरपूर भोज्यपदार्थ है। इसका उपयोग मुख्य रूप से हरी सब्जी, भोजन, दवा, सौन्दर्य प्रसाधन आदि में किया जाता है। मेथी के बीज सब्जी तथा अँचार के जायके को बढ़ाने के लिए मसाले के रूप में किया जाता है।

हमनें इन सभी फसलों के खेती की सम्पूर्ण जानकारी आपसे साझा की। अब नए सप्ताह में कुछ नई जानकारियों तथा साप्ताहिक विवरण के साथ हम फिर मिलेंगे।

धन्यवाद।

अनुराग ठाकुर!

7 thoughts on “फसलबाज़ार का हर्बल विशेष साप्ताहिक विवरण।

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