कोविड-19 वैश्विक महामारी के असर में कुटीर ऊद्योग एक जरूरत है। जो बेरोजगारी से बचने का एक मात्र उपाय भी है।
कुटीर ऊद्योग की महत्वता को देखते हुए तथा आने वाले भविष्य को ध्यान में रखते हुए, भारत के प्रधानमंत्री ने लोगों से लोकल की महत्वता को समझने का आवाहन किया है।
इसके तहत भारत सरकार छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम -1955 में संसोधन करने जा रही है। जिसके मद्देनज़र कृषि, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज जैसे कृषि उपज को नियंत्रण मुक्त करने का फैसला लिया जाना है। कृषि के क्षेत्र में कुटीर उद्योग के भविष्य को देखते हुए लिया गया ये फैसला बहुत महत्वपूर्ण है।
आलू की भूमिका:- भारत की एक बड़ी आवादी सब्ज़ी के तौर पर आलू पर हीं निर्भर है। यह भारत में सबसे अधिक उगाई तथा खाई जाने वाली सब्जी है।
आलू एक लोकप्रिय सब्जी है, वनस्पति विज्ञान के दृश्टिकोण से यह एक तना है। इसका उद्गम दक्षिण अमेरिका का पेरू है। यह पूरी दुनियाँ में उगाया जाता है। भारत में यह सोलहवीं शताब्दी में आया और अत्यंत लोकप्रिय हो गया। आज के ज़माने में यह सब्जियों का आधार है।
यह धान गेहूँ तथा मक्का के बाद सबसे अधिक उगाया जाने वाला फसल है। यह उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है तथा उत्तर प्रदेश में यह अधिक मात्रा में उपजाया जाता है।
आलू के गुण, खेती एवं इतिहास।
अमेरिकी कृषि वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान के जरिय एक निष्कर्ष निकाला । जिससे पता चला की 7000 वर्ष पूर्व से पेरू के किसान आलू उगा रहे हैं। सोलहवीं सदी में आलू का विस्तार दुनियाँ के दूसरे हिस्सों में हुआ। स्पेन के जरिय इसका विस्तार यूरोप के विभिन्न हिस्सों में हुआ। आज आयरलैंड तथा रुस की अधिकांश आवादी आलू पर ही निर्भर है। यह भारत में भी अत्यंत लोकप्रिय है इसे किसी भी सब्जी के साथ मिला कर पकाया जा सकता है।
गुण:- आलू भारत के सब्जियों में पसंदीदा तथा अन्य औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें विटामिन सी, बी काम्प्लेक्स, आयरन, मैंगनीज और फास्फोरस पाए जाते हैं। इसका उपयोग सौंदर्यवर्धन में भी किया जाता है।
कुछ लोगों का मानना है की इसमें चर्बी अधिक है जिससे मोटापा बढ़ता है। लेकिन आलू के साथ खाई जाने वाली तेल, घी और चिकनाई इसके जिम्मेदार हैं।
इसका मुख्य पौष्टिक तत्व स्टार्च होता है।
खेती:- आलू की खेती के लिय जीवांश युक्त बलुई-दोमट मिट्टी अच्छी होती है। उत्तर भारत में आलू की बुआई का उपयुक्त समय अक्टूबर माह का पहला पखवाड़ा है, तथा फसल तैयार होने का दिसंबर।
वही पूर्वी भारत में यह अक्टूबर के मध्य से जनवरी तक बोया जाता है। इसकी अच्छी उपज के लिए समय पर खेती, खर-पतवारों का रोक थाम , किट -पतंगों तथा बीमारियों से बचाव आवश्यक है। आज कल वैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से भी आलू की खेती के जरिय किसान भरपूर मुनाफ़ा कमा रहें हैं।
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